यह हम सबकी चुगली है
मोहिनी, यह तुम्हारी घात नहीं है -नवीन जोशी तुमसे विनती है कि तुम, जो इसे पढ़ोगे, यही सोचना कि मैं उसकी ‘घात’ (शिकायत) नहीं कह रहा हूँ. अब तक सम्भाल कर रखी गई मेरी डायरी में उसका कहा लिखा है-... Read more
दिल ढूंढता है फिर वही नैनीताल एक्सप्रेस
सन 2016 के शुरुआती महीनों में लखनऊ से छोटी लाइन की ‘नैनीताल एक्सप्रेस’ ट्रेन पूरी तरह बंद होने की खबर पढ़कर यादों का पिटारा खुला तो खुलता ही चला गया था. बचपन के दिन. हर साल 20 मई को हमें स्कू... Read more
हम उन्हें राम भाई कहते थे. “राम भाई,” मई 2011 में एक दिन मैंने उन्हें फोन किया था- “साबरी ब्रदर्स की कव्वाली करा रहे हैं, आप जरूर आएं.” “माई प्लेजर” उन्होंने कहा था. वे आए. उस कार्यक्रम में... Read more
Popular Posts
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश