आपकी आत्मा को प्रकृति से जोड़ देता है कौसानी
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में है अल्मोड़ा जिला. इस जिले में कई सुन्दर पर्यटन स्थल हैं. इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय है कौसानी. जिन भी सैलानियों को पहाड़ में शहर की तड़क-भड़क और सुख-सुविधाओं के... Read more
ऐतिहासिक रहा है चनौदा का गांधी आश्रम
1929 में महात्मा गांधी ने कुमाऊं की यात्रा की थी. 22 दिनों की इस यात्रा में उनका लक्ष्य क्षेत्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आन्दोलन को मजबूती प्रदान करना था. इस दौरान उन्होंने अपना अधिकांश समय कौसान... Read more
कौसानी के कवि सुमित्रानंदन पंत -जन्मदिन पर विशेष
20 मई 1900 को जन्मे इस सुकुमार कवि के बचपन का नाम गुसांई दत्त था. स्लेटी छतों वाले पहाड़ी घर, आंगन के सामने आड़ू खुबानी के पेड़, पक्षियों का कलरव, सर्पिल पगडण्डियां, बांज, बुरांश व चीड़ के पेड़ों... Read more
बैजनाथ: कत्यूरी शासकों की राजधानी
धार्मिक व पौराणिक महत्व उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के बागेश्वर जिले में है बैजनाथ. लोकप्रिय पर्यटन स्थल कौसानी से इसकी दूरी 18 किमी की है. बैजनाथ पौराणिक गारुड़ी और गोमती नदी के संगम स्थल पर ब... Read more
कुमाऊं के सुन्दर कौसानी-सोमेश्वर मार्ग पर कौसानी से 3 और सोमेश्वर से 9 किलोमीटर दूर एक छोटी सी जगह पड़ती है ल्वेशाल. ग्राम सभा छानी ल्वेशाल के अंतर्गत आने वाला और लोकगायकों की समृद्ध परम्परा... Read more
Popular Posts
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी
- कुमाऊनी कविता की यात्रा के पड़ावों पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘अंगवाल’
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) का ‘भारत रंग महोत्सव’ रामनगर में आज से
- कल्पना करने की शक्ति से सपनों को सच करो