Home Hill Agriculture
कहां गया हमारे पहाड़ का चुआ
Posted By: Kafal Treeon:
अब तो भूले-बिसरे ही याद आता है हमें रामदाना. उपवास के लिए लोग इसके लड्डू और पट्टी खोजते हैं. पहले इसकी खेती का भी खूब प्रचलन था. बचपन में मंडुवे यानी कोदों के खेतों के बीच-बीच में चटख लाल, स... Read more
Popular Posts
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : तू भी मिला आशा के सुर में मन का ये एकतारा
- गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी का पहला स्थान
- ‘बेडू पाको’ की धुन के साथ शुरु हुआ बीटिंग रिट्रीट समारोह
- यूं ही कोई पहाड़ी अपना घर नहीं छोड़ता
- उत्तराखण्ड का वह गाँव जहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त एक दिन में दो बार होता है
- कहानी : पेन पाल
- पहाड़ी ऐसे मनाते हैं बंसत पंचमी
- गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगा छोलिया नृत्य
- दो गज जमीन
- क्या सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु देहरादून में हुई
- टनकपुर-पिथौरागढ़ ऑल वैदर रोड पर बिताई दो रातें
- नेताजी को उत्तराखंडी जांबाजों पर था सबसे ज्यादा भरोसा
- एक महान सपने को साकार होते देखने की चित्र गाथा है ‘परेड ग्राउण्ड टू लैंसडाउन चौक‘
- बसंत हमारी आत्मा का गीत और मन के सुरों की वीणा है
- जोशीमठ के पहाड़
- जोशीमठ की पूरी कहानी
- न जाने पहाड़ के कितने परिवारों की हकीकत है शंभू राणा की कहानी ‘बेदखली’
- जब हिन्दी फिल्मों में पहाड़ी लोकगीतों की धुनों का इस्तेमाल होता था
- टनकपुर किताब कौथिग का दूसरा दिन
- राजा-पीलू की जोड़ी
- हल्द्वानी की जामा मस्जिद और अब्दुल्ला बिल्डिंग का इतिहास
- 1985 में पौड़ी गढ़वाल पर लिखा एक महत्वपूर्ण लेख
- उतरैणी कौतिक बागेश्वर की तस्वीरें
- घरों में आदमी नहीं अब दरारें हैं
- धारचूला से आई एक खबर ने खुश कर दिया