हिलजात्रा: ग्रामीण कृषक समाज की जीवंत झांकी
जेठ-आषाढ़ की तप्त गर्मी और हाड़ तोड़ देने वाली धान की रोपाई के बाद सावन के घुमड़ते मेघ पहाड़ों के जीवन को कुछ पल के लिए शिथिल कर देते हैं. इन परसुकुन के पलों में जब प्रकृति भी अपना श्रृंगार... Read more
चार वीर महर भाई और हिलजात्रा की कथा
आज पिथौरागढ़ जिले कुमौड़ गांव में हिलजात्रा का उत्सव मनाया जा रहा है. कुमौड़ की हिलजात्रा का मुख्य पात्र लखियाभूत या लखियादेव है. हिलजात्रा कैसे कुमौड़ गांव में शुरू की गयी इसके विषय में चार... Read more
आज है पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में हिलजात्रा
पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में आज शाम हिलजात्रा का आयोजन किया जायेगा. हिलजात्रा पिथौरागढ़ में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला एक कृषि उत्सव है. इसमें कोई बैल की जोड़ी बनता है, कोई हलिया बनता है... Read more
पिथौरागढ़ के सतगढ़ और सुरुण गांव की हिलजात्रा
मेले और त्यौहार लोक-परम्पराओं को जीवित रखने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं. इन दिनों पूरे पहाड़ में सातों-आठों का पर्व मनाया जा रहा है. सातों-आठों या सातूं-आठूं लोकपर्व का ही हिस्सा है ह... Read more
Popular Posts
- प्रेमचंद की कहानी ‘मंदिर और मस्जिद’
- गले में पाटी लटकाकर स्कूल जाने की याद
- देहरादून आरटीओ ऑफिस में मुख्यमंत्री का छापा
- उद्यमशीलता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम है तुलसी देवी
- उत्तराखण्ड के प्राचीन प्रधान मन्दिरों पर कैंत्युरी शिखर मिलता है
- च्यूरे का एक ही पेड़ घी, शहद और गुड़ का इंतजाम कर सकता है
- केदारनाथ पर महत्त्वपूर्ण लेख
- गुन्दरू आज भी घर की देली पर खड़ा है : लोककथा
- गुरूजी और जोंक
- बुद्ध ने आनंद को वेश्या के पास क्यों जाने दिया
- छिपलाकोट अंतरकथा : जिंदगानी के सफर में, हम भी तेरे हमसफ़र हैं
- शराब पीने में उत्तराखंड के पुरुष अव्वल
- कोतवाल के हुक्के की एफआईआर
- उत्तराखंड के वीर कफ्फू चौहान की गाथा
- केदारनाथ में पहले 4 दिन में 80000 श्रद्धालु
- कफल्टा हत्याकांड को याद किया जाना आज भी क्यों जरूरी है
- आठवीं का बोर्ड, चेलपार्क और हरित क्रांति
- दूध का दाम : प्रेमचन्द
- लोक कथा : दयामय की दया
- 1992 में हटाये गए अतिक्रमणों को लम्बे समय तक याद रखा हल्द्वानी शहर ने
- पहाड़ियों के प्यारे काफल के सेहतमंद फायदे
- बद्री क्षेत्र में निवास करते हैं पंच बद्री
- अल्मोड़ा में दलित दूल्हे को सवर्णों ने जबरन घोड़ी से उतारा
- अमरीकी नस्लवाद बनाम भारतीय जातिवाद
- सानन थैं पधान हो कयो, रात्ति में बांगो