नातिणी-बड़बाज्यू संवाद
‘नातिणी-बड़बाज्यू संवाद’ गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का ब्रजेन्द्र लाल शाह को श्रद्धांजलि देते हुये लिखे लेख ‘यह सृष्टि सुहागिन रहे कामना मेरी’ का हिस्सा है.... Read more
गिर्दा तुमने जिंदगी भर क्या कमाया है
गिर्दा के बारे में उचित ही कहा जाता है कि वो कविता करता नहीं जीता था. और जब कविता सुनाता था तो लगता था जैसे अंग-अंग से कविता फूट रही हो. भरपूर अवसरों के बावजूद गिर्दा ने अपनी सृजनशीलता को व्... Read more
पारंपरिक लोक-संगीत की धरोहर ‘हरदा सूरदास’
बात कुछ साल पुरानी होगी. संभवतः 1980-81 की. मई-जून का महीना. नैनीताल टूरिस्टों से खचा-खच भरा हुआ. शहर की माल रोड मोटर-कारों से त्रस्त. ऐसे वातावरण में स्टेट बैंक मल्लीताल के पास मेरे कान में... Read more
हम जाने भी कहां देंगे तुमको गिर्दा
उस साल यानी 2010 में अचानक एक याद बन गया गिर्दा. इतवार, 22 अगस्त का दिन था. बारह बजे के आसपास मोबाइल फोन कुनमुनाया. देखा, लखनऊ से नवीन का संक्षिप्त एस एम एस था- ‘हमारे गिर्दा चल दिए इस दुनिय... Read more
गिर्दा की नवीं पुण्यतिथि
प्रख्यात जनधर्मी कलाकार-कवि के रूप में गिर्दा हमारे दिलों में अमर हैं. आज उन्हें गए हुए नौ साल बीत गए. उनके अवसान के बाद उनके परम मित्र और हिन्दी के बड़े कवि वीरेन डंगवाल ने कबाड़खाना ब्लॉग पर... Read more
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