ईजा कैंजा की थपकियों के साथ उभरते पहाड़ में लोकगीत
Posted By: Kafal Treeon:
हर ऋतु में अपने गीत हैं. खट्ट से आस पास से कई अलंकार समेट फूट पड़ते हैं. मेले ठेले में, पर्व में, कौतिक में, संक्रांती में, कर्मकांड में, ब्रत में, समारोह में, अनुष्ठानों में, त्यो... Read more
खुदेड़ गीत उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल में बसंत के मौके पर गाये जाने वाले गीत हैं. यह गीत नवविवाहिताओं के द्वारा गाये जाते हैं. इसमें मायके जाकर माता-पिता एवं भाई-बहनों से मिलने की आकुलता के भाव... Read more
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