चैन कैसा जो पहलू में तू ही नहीं
(पोस्ट को रुचिता तिवारी की आवाज़ में सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें) मेलोडेलिशियस-8 ये ऑल इंडिया रेडियो नहीं है. ये ज़ेहन की आवाज़ है. काउंट डाउन नहीं है ये कोई. हारमोनियम की ‘कीज़... Read more
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते – अल्लामा इक़बाल इसी लोकसभा चुनाव की बात है. इसी देश के एक प्रदेश में एक गांव है. कुल बहत्तर वोटों वाला.... Read more
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
(पोस्ट को रुचिता तिवारी की आवाज़ में सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें) मेलोडेलिशियस- 6 ये ऑल इंडिया रेडियो नहीं है. ये ज़ेहन की आवाज़ है. काउंट डाउन नहीं है ये कोई. हारमोनियम की ‘कीज़... Read more
जा जा रे जा बालमवा
(पोस्ट को रुचिता तिवारी की आवाज़ में सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें) मेलोडेलिशियस-5 ये ऑल इंडिया रेडियो नहीं है. ये ज़ेहन की आवाज़ है. काउंट डाउन नहीं है ये कोई. हारमोनियम की ‘कीज़... Read more
जिसके हाथों रास है, वो खच्चर का ख़ास है
अंतर_देस_इ (शेष कुशल है) ओए नागरिक अमाँ बाशिंदे अबे देसवासी जियो… बसो… फलो तुम्हारा ख़त (मत) मिला. बहुत उत्साह में दिखे तुम. अच्छा है, पर छाती पीटने से मुक्के या छाती, दोनों में स... Read more
देख लो आज हम को जी भर के
मेलोडेलिशियस-4 (पोस्ट को रुचिता तिवारी की आवाज़ में सुनें) ये ऑल इंडिया रेडियो नहीं है. ये ज़ेहन की आवाज़ है. काउंट डाउन नहीं है ये कोई. हारमोनियम की ‘कीज़’ की तरह कुछ गाने काले-सफेद... Read more
महसूस तुम्हें हर दम फिर मेरी कमी होगी
मेलोडेलिशियस-3 (पोस्ट को रुचिता तिवारी की आवाज़ में सुनें) ये ऑल इंडिया रेडियो नहीं है. ये ज़हन की आवाज़ है. काउंट डाउन नहीं है ये कोई. हारमोनियम की ‘कीज़’ की तरह कुछ गाने काले-सफेद... Read more
‘माँ, महान होती है.’ ‘माँ, महान ही होती है.’ हमारी सामाजिक व्यवस्था में ये दोनों वाक्य अधूरे हैं. इसका एक तीसरा और पूरक वाक्य भी है- ‘माँ, को महान ही होना चाहिए... Read more
देयर इज़ ऐन एक्टर हू वांट्स टू बी नोन ऐज़ ए पोएट एक दूसरा सच भी होता है जो अपराध उसके अन्वेषण और न्याय की पूरी कार्यवाही के बीच कहीं दबा हुआ होता है. इसमें व्यक्ति कभी संस्था की वजह से और अक्स... Read more
जो मैं जानती बिसरत हैं सइयाँ
आज से हम एक नया संगीतमय कॉलम शुरू करने जा रहे हैं. यह कॉलम अमित श्रीवास्तव और रुचिता तिवारी की जुगलबंदी के रूप में होगा. मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा यह लेख रुचिता तिवारी द्वारा लिखा गया है.... Read more
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