न जाने पहाड़ के कितने परिवारों की हकीकत है क्षितिज शर्मा की कहानी झोल खाई बल्ली
सर्दी ने थोड़ी राहत दे दी थी. चार दिन से रुक-रुककर बर्फ गिरने के बाद आज कुछ देर को धूप निकल आई थी. एकदम मरियल, पीली-पीली. उसमें हल्की-सी तपन तो थी, पर बर्फ पिघलाने की ताकत बिलकुल नहीं थी.(Jh... Read more
पहाड़ की लड़कियों का पहाड़ सा जीवन
आंगन की भीढ़ी में बैठे-बैठे हरूवा सुबह से पांच बीड़ी फूंक चुका था. बेटी की शादी में महज 10 दिन रह गए थे. पहाड़ियों का एक अलग ही लॉजिक होता है, टेंशन के समय में बीड़ी फूकने से काम करने की थोड... Read more
कहानी: भागने वाली लड़कियां
लड़कियों के लिए सड़क की ओर की चढ़ाई चढ़ना किसी यातना से गुजरने जैसा रहा. खड़ी चढ़ाई उनके ही नहीं अच्छे-अच्छों के होश ठिकाने लगा देती थी. दोनों किसी से मिले तथा कुछ कहे बगैर चुपचाप गांव से चल... Read more
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