अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!
Posted By: Kafal Treeon:
पत्रकार महोदय – वीरेन डंगवाल ‘इतने मरे’ यह थी सबसे आम, सबसे ख़ास ख़बर छापी भी जाती थी सबसे चाव से जितना खू़न सोखता था उतना ही भारी होता था अख़बार. अब सम्पादक चूंकि था प्रका... Read more
1842 से छप रहे हैं उत्तराखण्ड में अखबार
Posted By: Kafal Treeon:
उत्तराखंड में पत्रकारिता की शुरूआत -विनीता यशस्वी पहले अखबार उत्तराखंड के कुमाऊनी व गढ़वाली दोनों इलाकों में पत्रकारिता का इतिहास बेहद प्राचीन और रोचक रहा है. कहा जा सकता है कि 1842 में जॉन म... Read more
Popular Posts
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी