डाना गैराड़ के कलबिष्ट देवता की जागर सुनिए
Posted By: Kafal Treeon:
कुमाऊँ और गढ़वाल के पहाड़ों में प्रचलित जागर पूर्वजों की आत्माओं का आह्वान करने की पुरानी परम्परा है. आम तौर पर सुषुप्तावस्था में रहने वाले इन पूर्वज-लोकदेवताओं को संगीत और गायन के माध्यम से ज... Read more
जागर (Jagar) उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में प्रचलित पूजा पद्धतियों (Worship System) में से एक है. पूजा का यह रूप नेपाल के पहाड़ी भागों में भी बहुप्रचलित है. इससे मिलती... Read more
Popular Posts
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी
- कुमाऊनी कविता की यात्रा के पड़ावों पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘अंगवाल’
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) का ‘भारत रंग महोत्सव’ रामनगर में आज से
- कल्पना करने की शक्ति से सपनों को सच करो