मैं अपने गांव से जुड़ी एक प्यारी सी फसक आप से साझा करने जा रहा हूं, यह फसक मैंने बचपन में ह्यूनाल के वक्त में गांव के कुछ लोगों से सुनी, उस बखत में गांव में बिजली, टीवी, फोन जैसी सुविधाओं का... Read more
पेंटिंग के माध्यम से आपबीती कहकर मुनस्यारी के नन्हे बच्चों का दुनिया को एक जरूरी संदेश
शाखें रहेंगी तो फूल भी पत्ते भी आयेंगे,ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आयेंगे (Munsiyari Dhapa Village Children’s Painting) शायद कुछ यूं ही कहना चाह रहे हैं ये कल के नन्हें पौंधे, अपने... Read more
मैंने मुनस्यारी से 15 किमी दूर धापा गांव में सन् 1991 में जन्म लिया. तब गांव में न बिजली थी, न टीवी और न फोन. संस्कृति का मतलब फेसबुक में पोस्ट डालना या फोन में पहाड़ी गीत देखना नहीं था बल्क... Read more
गणेश मर्तोलिया ने लोकसंगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बेहद विनम्र स्वभाव के गणेश हर समय पुरानी लोकधुनों की खोज में रहते हैं. उनके एक गीत पर हमने कुछ माह पहले एक पोस्ट भी लगाई... Read more
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