बीती 10 दिसम्बर 2020 को भारतीय संस्कृति में एक अहम मुकाम पैदा करने वाले नर्तक अस्तद देबू का देहांत हो गया. आधुनिक नृत्य के जनक मानेजानेवाले 13 जुलाई 1947 को जन्मे अस्ताद देबू ने अपनी बहुमुखी... Read more
अध्यात्म और योग की नगरी के रूप में विश्वविख्यात ऋषिकेश का ये आकर्षण ही है कि अपने अपने क्षेत्र की सेलेब्रिटीज को जब भी मौका मिलता है तो वे सुकून के लिए ऋषिकेश का रुख कर लेते हैं. (Supersta... Read more
चट्टी: चारधाम यात्रा के पारंपरिक पड़ाव
आज उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा के सभी पड़ाव सड़क व वायु मार्ग से जुड़े हुए हैं. यात्रा मार्गों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम समेत द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के अलावा भी सैकड़ों होटल, सारे, होम स्ट... Read more
उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 1
मुझे आजकल लगता है कि मैं कोई जमाने से यहीं खड़ा, हवा चले न चले सिर पटकता पेड़ हूं. या कोई धूल से अटी पिचके टायर वाली जीप हूं जिसके स्टीयरिंग का पाइप काटकर मेरे गांव छोकरे लोहार से कट्टा बनवा... Read more
Popular Posts
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश