अक्टूबर जैसा अक्टूबर आया ही नहीं इस बार पहाड़ों में
Posted By: Kafal Treeon:
पहाड़ों में पर्यटन का दूसरा बड़ा सीजन होता है अक्टूबर सीजन. एक ज़माने में इस दौरान आने वाले बंगालियों की बड़ी संख्या के कारण इसे बंगाली सीजन कहे जाने की शुरुआत हुई. बंगाल में इस दौरान चल रही दुर... Read more
प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही बरतने से उत्तराखण्ड निवासियों की औसत आयु दो से छः साल कम हुई
Posted By: Kafal Treeon:
शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध संस्था ‘एपिक’ (Energy Policy Institute at the University of Chicago-EPIC) द्वारा तैयार ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक’ (Air Quality Life Index – AQLI)... Read more
Popular Posts
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी
- कुमाऊनी कविता की यात्रा के पड़ावों पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘अंगवाल’
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) का ‘भारत रंग महोत्सव’ रामनगर में आज से
- कल्पना करने की शक्ति से सपनों को सच करो