हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था ‘संगीत कला केंद्र’ की स्थापना हुई 1957 में
कुमाऊँ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी व्यावसायिक नगर के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहा है. शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विद्वानों की महफिलें आज भी यहाँ जुटती हैं. यद्यपि व्यावस... Read more
रानीबाग यहां का एक पवित्र स्थान माना जाता है यहां एक पुराना चित्रेश्वर शिवालय के नाम से मंदिर है इस मंदिर को 25 जनवरी 1880 में रामगढ़ के चतुर सिंह द्वारा बनवाकर प्रतिष्ठित किया गया था यहां ज... Read more
बाबा नीम करोली महाराज को लेकर भी श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा रही है अपने बचपन को याद करते हुए डॉ. मुनगली बताते हैं सन 1952 में जब वह दो-तीन साल के थे घर से बाहर घूमते हुए खो गए. ढूंढ खोज के... Read more
पहाड़ की प्रमुख मंडी हल्द्वानी के आबाद होने की कहानी बहुत रोचक है. इसका वर्तमान चाहे कितना ही स्वार्थी हो गया हो इसका भूतकाल बहुत ईमानदार और विश्वास पर आधारित था. मूल रूप से रानीखेत के रहने... Read more
सुल्ताना डाकू के छोड़े हुए रुपयों से खरीदी गयी हल्द्वानी के एम. बी. स्कूल की जमीन
काठगोदाम व रानीबाग के बीच ऊँची पहाड़ी पर शीतला देवी का मंदिर है. अब यहाँ चहल-पहल बढ़ गयी है लेकिन पहले यहाँ वीरानी रहा करती थी. इस स्थान को शीतलाहाट नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि चं... Read more
कहते हैं कि हल्द्वानी के इस गांव में कई लोगों को हल चलाते हुए अशर्फियां मिली
गौला पार में कालीचौड़ का मंदिर भी पुरातत्विक महत्त्व का है किन्तु इस सम्बन्ध में अभी तक खोज नहीं की जा सकी है. कहा जाता है कि बिजेपुर गाँव में राजा विजयचंद की गढ़ी थी. उसके निकट ही कालीदेव क... Read more
हल्द्वानी का एक होटल जहां वैजयंती माला, दिलीप कुमार और जॉनी वॉकर एक साथ रहे
1960 से पहले यहाँ यात्रियों, पर्यटकों के टिकने के लिए विशेष होटलों कि व्यवस्था नहीं थी. तेवाड़ी होटल, जगदीश होटल, अम्बिका होटल पंजाब होटल के अलावा ढाबों में लगी बैंचों और केएमओयू स्टेशन, अना... Read more
हल्द्वानी शहर के निकट कई अन्य बस्तियां भी हुआ करती थीं. जो अब विकसित हो गई हैं. गोरा पड़ाव में गोरे अपना पड़ाव डाला करते थे. भोटिया पड़ाव में जाड़ों में जोहार शौका यानी भोटिया समुदाय अपनी भे... Read more
राजनीति के क्षेत्र में हल्द्वानी क्षेत्र की एक ऐसी महिला का जिक्र करना आवश्यक हो जाता है जो एक साधारण परिवार की साधारण अध्यापिका से असाधारण हो गयी. और 24 साल तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स... Read more
एक थे चरणजीत शर्मा. मूल रूप से वे हरियाणा के रहने वाले थे लेकिन एक अर्से से वे यहीं के होकर रहे गये थे. यहां आने से पूर्व वे रानीखेत में लीसे का व्यापार किया करते थे. इस व्यापार में लीसे की... Read more
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