भोलाराम का जीव : हरिशंकर परसाई
ऐसा कभी नहीं हुआ था… धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान ‘अलाट’ करते या रहे थे- पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. (Harishankar Par... Read more
आवारा भीड़ के खतरे : हरिशंकर परसाई
एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर. इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया – पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी. ए... Read more
एक मध्यमवर्गीय कुत्ता : हरिशंकर परसाई
मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, ‘इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?’ मित्र ने कहा, ‘तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!’ मैंने कहा, ‘आदमी की शक्ल मे... Read more
जादू देखो ताली पीटो, चमत्कार देखो और खुश रहो
भारत को चाहिए जादूगर और साधु – हरिशंकर परसाई हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े. न सोचूँ तो भी काम चलेगा – बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा. सोचना एक रोग... Read more
लघुशंका गृह और क्रान्ति – हरिशंकर परसाई मंत्रिमंडल की बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह छात्रों की अनुशासनहीनता है. यह निर्लज्ज पीढ़ी है. अपने बुजुर्गो से लघुशंका गृह मांगने में भी इन... Read more
Popular Posts
- Mahadev Shiva : as an Ecologist of the Central Himalayas
- कल गंगा दशहरा है
- कुमाऊनी शैली में दोहे
- पहाड़ ठंडो पानी, सुण कति मीठी वाणी
- 30 मई 1930 : उत्तराखण्ड के इतिहास का रक्तरंजित अध्याय
- मुल्क कुमाऊँ को ढुंगो ढुंगो होलो
- सबकी नजरें उत्तराखंड के आकाश मधवाल पर
- भारत के अलावा और कहाँ मिलता है ‘काफल’
- नैनीताल की पहली यात्रा में एक स्थानीय के सिर पर पत्थर रख गये अंग्रेज
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : लम्बी सी डगर न खले
- उत्तराखंड में वनाग्नि की समस्या पर एक जमीनी रपट
- बकरी और भेड़िये
- 1 मई और रुद्रप्रयाग का बाघ
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगी धूप तुम घना साया
- खोज्यालि-खोज्यालि, मेरी तीलु बाखरी
- गुप्तकाल में कुमाऊं
- चाय की खेती की असीम संभावनायें हैं उत्तराखंड में
- पलायन : किसी के लिए वरदान, किसी के लिए श्राप
- कुमाऊनी लोक कथा : खाचड़ी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : धूप सुनहरी-कहीं घनेरे साये
- इस तरह द्वाराहाट में द्वारिका नगरी न बन सकी
- क्या 1940 में शुरू हुआ थल मेला
- सूखे आटे का स्वाद
- पहाड़ की ठण्ड में चाय की चुस्की
- कुमाऊनी जागर शैली में शिव सती विवाह की कहानी