‘साधो, करमगती किन टारी…’ – मिरदुला कानी, सीढ़ी के पथरौटे पर बैठी, मंजीरा कुटफुटा रही थी – ‘कोस अनेक बिकट बन फैल्यो, भसम करत चिनगारी… साधो…... Read more
कहानी : मिसेज ग्रीनवुड
अल्मोड़ा के उत्तर की ओर सिंतोला वन पड़ता है. बाँज, देवदार, चीड़ और काफल के घने गाछों से घिरे सिंतोला वन में मिसेज ग्रीनवुड अपनी छोटी-सी ‘ग्रीनवुड कॉटेज’ में रहती हैं. मिसेज ग्रीन... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : उसने तो नहीं कहा था
राइफल की बुलेट आड़ के लिए रखी हुई शिला पर से फिसलती हुई जसवंतसिंह के बाएँ कंधे में धँसी थी, मगर फिर भी काफी गहरी चोट लग गई थी. उसकी आँखें इस वेदना से पथराकर यों घूम गई थीं, जैसे गोली खेलने म... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : बित्ता भर सुख
अपने इस नए कार्यक्षेत्र में आने के बाद उसे यह पहला बच्चा जनवाना है. परसों जब वह यहाँ पहुँची, शाम काफी गहरी हो चुकी थी. जहाँ से वह आई है, शहर नितांत छोटा-सा, मगर शहर की अन्य सुविधाओं के साथ,... Read more
आकाश कितना अनंत है
जो रिश्ता पिछली सर्दियों में तय हुआ, उसे तोड़ दिए जाने का निर्णय लिया जा चुका है. अब उसकी शादी दिल्ली-जैसे बड़े शहर में नौकरी करने वाले लड़के से होगी. जसवंती को ऐसा लग रहा है, सिर्फ इतना जान... Read more
मैमूद: शैलेश मटियानी की कालजयी कहानी
महमूद फिर ज़ोर बाँधने लगा, तो जद्दन ने दायाँ कान ऐंठते हुए, उसका मुँह अपनी ओर घुमा लिया. ठीक थूथने पर थप्पड़ मारती हुई बोली, “बहुत मुल्ला दोपियाजा की-सी दाढ़ी क्या हिलाता है, स्साले! द... Read more
अर्धांगिनी : छुट्टी में पहाड़ आये फ़ौजी का घर-संसार लपेटे शैलेश मटियानी की कहानी
टिकटघर से आखिरी बस जा चुकने की सूचना दो बार दी जा चुकने के बावजूद नैनसिंह के पाँव अपनी ही जगह जमे रह गए. सामान आँखों की पहुँच में सामने अहाते की दीवार पर रखा था. नज़र पड़ते ही, सामान भी जैसे... Read more
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