पहाड़ और मेरा जीवन – 57 (पिछली क़िस्त: बारहवीं में दसवीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा यूं कमाए मैंने पैसे) मुझे जैसी याद दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं की है, वैसी बारहवीं की परीक्षाओं की नहीं है. बोर... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन- 56 मैं विद्यार्थी जीवन के दौरान और बाद में भी कई बार पैसों को लेकर थोड़ी तंगी में जरूर रहा, पर मैंने कभी पैसों की बहुत ज्यादा परवाह की हो, मुझे याद नहीं. उस लिहाज से देख... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन- 55 पिथौरागढ़ में अखबारों, किताबों और स्टेशनरी की अब तो बहुत-सी दुकानें खुल गई हैं, पर हमारे स्कूल के दिनों में पुनेठा बुक स्टोर और उसी के सौ मीटर के दायरे पर जूपिटर पैलेस... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन- 54 (पिछली क़िस्त: उसकी पलकों का क्षितिज न मिला, फूल मेरी नफीस मुहब्बत का न खिला) पहाड़ और हरियाली एकदूसरे के पर्याय हैं. दो साल पहले जब उन्मुक्त गर्मियों में क्रिकेट खेलन... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 53 ( Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, परिस्थितियां उसकी गुलाम हैं) ग्यारहवीं कक्षा की डायरी हाथ आने के बाद बहुत कुछ तो उसमें म... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 52 ( Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: इस विपुला पृथिवी को मैं जानता ही कितना हूं) शीर्षक में इस्तेमाल की गई उपरोक्त पंक्ति ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के दिनों... Read more
इस विपुला पृथिवी को मैं जानता ही कितना हूं
पहाड़ और मेरा जीवन – 51 (Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: वह पहाड़ों की सर्दियों का एक जरा-सा धूप का टुकड़ा) मुझे मरण की चाह नहीं है सुंदर जग में, चाह रहा हूं मैं भी जीना मानव समुद... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 47 (पिछली क़िस्त: और मैं बन गया एनसीसी गणतंत्र दिवस कैंप में ऑल इंडिया कमांडर ) पिछले दिनों बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए छोड़ने अमेरिका गया. एक समय था जब अमेरिका जाने की... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 46 (पिछली क़िस्त: मुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसात) एनसीसी से अपने संबंध के बारे में मैं बता ही चुका हूं. मैंने एनसीसी के कुल सात कैंप अटैंड किए. तीन... Read more
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