जन्मदिन पर गिर्दा की याद
गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने का ऐसा अंदाज कि जैसे खुद मीर तकी मीर कह रहे हों: (Remembering Girda t... Read more
जनकवि गिर्दा को उनकी पुण्य तिथि पर याद किया
गीत और झोडे़ गाकर दी श्रद्धांजलि अल्मोड़ा. रिमझिम बारिश की फुहारों के साथ जब स्वागत की छत माल रोड-अल्मोड़ा में गिर्दा के गीत गाए तो सड़क पर छाते लिए लोग रुक कर वीडियो बनाने लगे. कामगार अपनी... Read more
काफल ट्री के नियमित सहयोगी चंद्रशेखर तिवारी ने ‘उत्तराखण्ड होली के लोक रंग’ नाम से एक महत्वपूर्ण पुस्तक का सम्पादन किया है. समय साक्ष्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का प्रार... Read more
गिर्दा का केदारनाद
विगत कुछ सालों से महानगरों में खप रहे युवाओं के बीच पहाड़ लौटकर कुछ कर गुजरने का एक नया, सकारात्मक चलन देखने में आ रहा है. ये युवा बहुत उम्मीद के साथ पहाड़ लौटते हैं और खुद पहाड़ की उम्मीद बन ज... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 2
पिछली कड़ी तो एक बार भवाली की टीम को ‘राम वनवास’ वाला प्रसंग मिला प्रस्तुति के लिये. राम-लक्ष्मण का वनवासी वेष धारण करने का दृश्य जिस प्रभावकारी और सादगी के साथ उन्होंने मंच पर प्रस्तुत किया... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 1
कुमाऊॅं (उत्तराखण्ड) में प्रचलित रामलीला सम्भवतः संसार का एक मात्र ऐसा गीत नाट्य है जो ग्यारह दिनों तक लगातार क्रमशः चलता है और जिसमें कई-कई बार बाजार का पूरा एक हिस्सा-पूरा इलाका ही मंच बन... Read more
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