इंतज़ार : लघु क्षोभ कथा
अंतर देस इ (… शेष कुशल है !) – अरे- अरे देख के ड्राइवर साहब ऊपर पहुँचाओगे क्या…’ लगभग लड़ ही गई थी गाड़ी सामने से आ रही गन्ने से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली से. ‘ये सब उप... Read more
कविता: कवि-तान: कविता- न!: क-वितान
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 16 अमित श्रीवास्तव (पिछली क़िस्त: तीसरी कसम उर्फ मारे गये चिलबिल) `कविता लिखने के लिए कवि होना ज़रूरी नहीं.’ ये ब्रह्म वाक्य मुझे एक `कविता: कल, आज, कल और प... Read more
तीसरी कसम उर्फ मारे गये चिलबिल
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 15 अमित श्रीवास्तव (पिछली क़िस्त: पप्पन पांडे का निबन्ध) गुडी गुडी में दो पाट थे और जैसा कि अमूमन होता है उन दोनों के बीच एक धार बहती थी. भले लोग उसे `मानू... Read more
पप्पन पांडे का निबन्ध
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 14 अमित श्रीवास्तव उत्तर पत्र लीक हो गया. फिर वाइरल. घोर कलियुग में ऐसा हो जाता है. प्रश्न से ज़्यादा उत्तर की औकात हो जाती है. चूंकि चर्चा चलन में है इसलि... Read more
पप्पन और सस्सू के न्यू ईयर रिज़ोल्यूशन
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 13 अमित श्रीवास्तव समय- दिन ढलने वाला था बाकी आपको घड़ी की घटिया आदत लग चुकी है तो उसी के हिसाब से कोई भी समय लगा लो दिनांक- इकत्तीस दिसम्बर (साल बता दें त... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 12
गुडी गुडी डेज़ (स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में है…) अमित श्रीवास्तव न गर्मी न जाड़े के गुदगुदे से दिन थे गुडी गुडी में. सुबह के ठीक सात बजे थे. देवकीनंदन पाण्डे अपना गला खंखार चुके... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 11
गुडी गुडी डेज़ (हीरामन– हीराबाई संवाद; नाम में क्या रक्खा है) अमित श्रीवास्तव हीराबाई- हीराबाई हीरामन- हीरामन हीराबाई- आह! हीरा! हम तुमको मीता कहेंगे फिर… हमारा नाम एक ही है न इसलिए हीर... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 9
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव हीरामन उवाच-2 (बजाए जा तू प्यारे हनुमान चुटकी) अजीब सी बातें करने लगा था हीरामन. असम्बद्ध बोलता. बोलता तो बोलता ही चला जाता चुप लगाता तो लगता व्रत धारण कर रक्ख... Read more
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