Related Articles

1 Comments

  1. वीरेंद्र विष्ट

    बहुत सुंदर। मुझे अपना बचपन याद आ गया जब मैं गर्मियों की छुट्टियों में अल्मोड़ा म् अपने गाँव जाता था और अपने गाय बैलों को चारनेबले जाता था। हमारे भी दो बैल बिल्कुल झवर्या और सुरु की तरह के थे। इनके नाम प्यारु और खैर थे। दोनों भी बहुत लड़ाकू थे। गाँव के सभी बैल उनसे डरते थे। और तो और लंबे चौड़े भभरी बैलों को भी ये दोनों पहाड़ी बैल मार भागते थे। पँर प्यारु तो इतना प्यार था कि जहां पर मैं बैठा होता वहीं पर आ कर मेरे सिर को चाट चाट कर प्यार दिखता थे। मैं उसके ऊपर बैठ भी जाता तो भी वह शांत खड़ा रहता और गिराता नहीं था। खैर जरा शैतान था और अपनी धुन में रहता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation