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2 Comments

  1. Anonymous

    गिरीश कर्नाड लिखित *तुगलक* कल ही खत्म किया ।पता नही क्यो?वो प्ले आज कल जीवंत हो उठा है.
    इमाम और मौलवियों को जो भी एवं के हक की बात करता था उसे बेरहमी से क़त्ल करवा दिया गया जो तुगलक के*मन की बात करता* वो सूबेदार बन जाता या अहम पदों पर आशिन हो जाता।चांदी के सिक्के बन्द कर ताँबे के करवाये गए ,पूरी अर्थव्यवस्था चौपट कर दी ।
    इत्तफाक ही होगा ये वरना गिरीश कर्नाड को क्या पता ऐसा भी होगा?

  2. सुशील

    थाने उठाकर ले जाना चाहिये था सारी किताबों को। खाली समय में सारे पुलिसवाले पढ़ डालते।

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