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3 Comments

  1. Anonymous

    कहानीकार मटियानी जी की कहानी पोस्टमैन ग्रामीण जीवन की विद्रूपता, त्रासदी, विधवाओं के साथ ही माता पिता के मर्मान्तक दुख को दर्शाता है।तब भी आज की तरह पहाड़ के अधिकांश युवक पलटन की ही नौकरी मे थे।तब पोस्टमैन के द्वारा तार देने पर उसे मृत्यु का सूचक ही माना जाता था।लोग तार आ जाने को गाली भी मानते थे।

  2. navin chandra pant

    शैलेश मटियानी वाकई में हमारे पहाड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं उनकी कोई भी कहानी आप ले लीजिए हर किसी में लगता है कि आप अपने पहाड़ में विचरण कर रहे हो बहुत-बहुत धन्यवाद.

  3. Zafar aalam

    कहानी नहीं यह हकीकत बयान की है ।पैसठ से जब से मुझे याद है 1993 तक कमोबेश यही स्थिति थी पोस्ट मैन उत्सुकता हर्ष व दुखद सुखद समाचार का प्रर्याय था आज मोबाइल व एस एम एस ने पत्रलेखन व डाकिए का महत्त्व समाप्त ही कर दिया मनीआर्डर व तार क्या होता है बच्चे नहीं जानते ।सच समय बलवान होता हैं जो निरंतर बदलता हैं व इसके साथ प्रथाए व साधन भी ।

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