लोक भाषा के शब्दों का हूबहू अनुवाद थोड़ा मुश्किल है. फिर भी कुमाऊनी भाषा के प्रचलित शब्द रमोल का हिंदी अर्थ रौनक के बहुत करीब ठहरता है, जिसमें लोक रस भी है. माहौल में यह रौनक किसी भी वजह से हो सकती है. इस रमोल का हिस्सा हुए रमोलिया. यहीं से नाम आया ‘रमोलिया हाउस.’ ये हल्द्वानी में शुरू होने जा रहा ‘काफल’ ट्री का नया उपक्रम है, जो भविष्य में कला प्रेमियों का प्रिय अड्डा बनेगा ऐसी उम्मीद है. (Painting Exhibition Ramolia House)
‘रमोलिया हाउस’ अपनी शुरुआत दो आयोजनों से करने जा रहा है. पहला, 31 मार्च से 3 अप्रैल तक फाइन आर्ट के स्थानीय कलाकारों की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी ‘कलर्स ऑफ होप’ के नाम से. पेंटिंग एग्ज़िबिशन का समय है सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक. दूसरा, 11 अप्रैल से एक थिएटर वर्कशॉप. रमोलिया हाउस कालाढूंगी चौराहे के पास ‘कुमाऊँ मंडल विकास निगम मार्केटिंग काम्प्लेक्स’ की दूसरी मंजिल पर है, सरस मार्केटिंग सेंटर के ठीक बगल में.
उम्मीद के रंग
‘कलर्स ऑफ होप’ उत्तराखण्ड के युवा कलाकारों की चित्रकला प्रदर्शनी है. इनमें से कुछ कुमाऊँ विश्विद्यालय में फाइन आर्ट की पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ ने हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की है. सभी आर्टिस्ट बहुत प्रतिभावान हैं.

आप सभी आमंत्रित हैं इस प्रदर्शनी में. यहाँ पहुंच कर इन युवा कलाकारों की पेंटिंग्स देखें और इनका हौसला भी बढ़ाएं. इस प्रदर्शनी में 10 आर्टिस्टों की पेंटिंग्स प्रदर्शन के लिए रखी जा रही हैं. ये कलाकार हैं :-
हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’
हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’ उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर के एक गाँव सतोल की रहने वाली हैं. फिलहाल वे राजस्थान और बिहार समेत देश के अन्य हिस्सों की लोककला को समझने और उनका उत्तराखण्ड की लोक कला के साथ फ्यूजन कर कुछ नया करने की कोशिश कर रही हैं. हिमानी ने हाल ही में एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से फाइन आर्ट में मास्टर्स की अपनी पढ़ाई पूरी की है. कुमाऊँ की लोक कला ऐपण में ख़ास काम करने वाली हेमलता राजस्थान, बिहार और उत्तराखण्ड की लोककलाओं के फ्यूजन से कई बेहतरीन कलाकृतियाँ तैयार कर चुकी हैं.

विशाल चन्द्रा
फाइन आर्ट्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके विशाल चन्द्रा पिछले 5 सालों से आर्ट और डिजाइन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. विशाल भारत सरकार द्वारा उत्तराखण्ड कल्चरल पेंटिंग कम्पटीशन के लिए पुरस्कृत हैं. कुमाऊँ पोस्टर मेकिंग कम्पटीशन के विजेता हैं. ये जयपुर आर्ट एग्जिबिशन में पुरस्कृत हैं और इंटरनेशल यूथ फेस्ट आर्ट कम्पटीशन में तीसरा रैंक मिला है.

भावना जोशी
हल्द्वानी में रहने वाली भावना एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से फाइन आर्ट में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं. पिछले छह सालों से कला के क्षेत्र में हाथ आजमा रहीं भावना को डिजाइनिंग के काम में ख़ास रुचि है.

बबीता काण्डपाल
अल्मोड़ा की बबीता काण्डपाल पिछले सात सालों से पेंटिंग कर रही हैं. एक्रेलिक, पोस्टर पेपर, क्ले, पेंसिल और पेंट आदि माध्यमों के साथ काम करती हैं. बबीता विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं की बारीकियों को सीखने का काम कर रहीं ताकि आर्टवर्क को और बेहतर बना सके.

पंकज पाल
रुद्रपुर के रहने वाले पंकज एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से फाइन आर्ट में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. वे चित्रकला के विभिन्न माध्यमों के साथ स्केच पर भी काम करते हैं.

पारुल बिष्ट
पिथौरागढ़ की पारुल ने हाल ही में फाइन आर्ट्स से मास्टर्स की डिग्री पूरी की है. फिलहाल फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहीं पारुल उत्तराखण्ड की लोक चित्रकला ऐपण पर काम करते हुए उसे संरक्षित करने का इरादा रखती हैं.

योगेश भंडारी
मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले योगेश भंडारी एसएसजे कैम्पस अल्मोड़ा से फाइन आर्ट की पढ़ाई कर रहे हैं. पिछले छह सालों से कला के क्षेत्र में काम कर रहे योगेश विभिन्न माध्यमों जैसे, वाटरकलर, एक्रेलिक, पेन्सिल, सॉफ्ट पेस्टल आदि पर काम करते हैं. रंग इनके लिए खुद को अभिव्यक्त करने का माध्यम भी हैं.

दिव्या जोशी
भीमताल की दिव्या जोशी ने पिछले साल फाइन आर्ट्स से मास्टर्स पूरा किया और इन दिनों एक फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रही हैं. दिव्या एक्रेलिक, वाटरकलर, पेंसिल आदि माध्यमों से चित्रकारी करती हैं.

प्रियंका आगरकोटी
हल्द्वानी की रहने वाली प्रियंका कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी कैम्पस, नैनीताल से फाइन आर्ट्स से मास्टर्स की छात्रा हैं.

अल्मोड़ा की कशिश कुंजवाल एसएसजे कैम्पस से फाइन आर्ट की पढ़ाई कर रही हैं. फिलहाल फ्रीलांसर आर्टिस्ट के तौर पर भी काम कर रहीं कशिश की पोट्रेट और फोक आर्ट में ख़ास दिलचस्पी है.

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One Comment
Dr मृगेश पांडे
सराहनीय, प्रशंसनीय,अनुकरणीय पहल।
यां पर्वत पर्वत हीरे हैं
यां सागर सागर मोती हैं