1950 के दशक में एक खुदेड़ दिल्ली बंबई रहने वाले उत्तराखंड के प्रवासियों के बीच खूब लोकप्रिय हुआ, उसके बोल कुछ यूं थे – तू होली ऊंची डांडयूं मां, बीरा घसियारी का भेस मां, खुद मां तेरी सड़क्यों पर रुणों छौं हम परदेश मां . अपने घर और परिवार से दूर... Read more