पंकज अब अपनी रौ में आ गया था. सुबह जल्दी उठो के नारे के बाद उसने कमान अपने हाथ में ले ली. मैं मुस्कुरा दिया. चाय पीने के बाद हमने नागन्यालजी से विदा ली और नागलिंग गांव के किनारे से ढलान का रास्ता पकड़ लिया. खेतों को पार कर आगे पहुंचे तो ऊपर से झरते ह... Read more
बाद में जब इस यात्रा के बारे में नगन्यालजी से बातें हुवी तो उनके पास उनके बचपन के ढेरों किस्सों की खान मिली. बकौल नगन्यालजी – (Sin La Pass Trek 20) गाँव की पवित्र शिला, जिसको प्राचीन समय से ही नाम दिया गया है ‘कुन्ती-ला’ बचपन में म... Read more
सामने पंचाचूली बांहें फैलाए दिखी. उसका ग्लेशियर किसी खौलते हुए लावे की तरह डरावना प्रतीत हो रहा था. कुछ पलों तक उसे निहारने के बाद तन्द्रा टूटी तो दांई ओर जसुली दत्ताल की एक खूबसूरत मूर्ति दिखाई दी, जिसके हाथों से अशर्फियां बरस रही थीं. (Sin La Pass... Read more
‘क्यों आए, कैसे आए, परमिट दिखाओ…’ के सवाल उठने लाजमी थे. इस पर हमने उन्हें अपने परमिट दिखाए. रजिस्टर में दर्ज करते हुए जब उन्हें भान हुआ कि हममें से दो पत्रकार हैं तो उनका व्यवहार बदल गया. एक जवान दौड़कर साहेब को हमारी सूचना दे आया... Read more
पंकज, पूरन और महेशदा तेजी से चल रहे थे. उनके पीछे कुछ दूरी पर संजय था और सबसे पीछे बेढब रकसेक को लादे मैं चल रहा था. मौसम खुशनुमा था तो मुझे अब चिंता नहीं थी कि हम दर्रे के पार बेदांग में कब पहुंचे. धीरे-धीरे उंचाई शुरू होने लगी और इधर सूरज ने भी छोट... Read more
लगभग दो किमी की परिधि से घिरा पार्वती ताल बेहद खूबसूरत था. ताल किनारे चहल-कदमी करते हुए पंकज और मैं तीनों साथियों को पंचस्नान करते देख रहे थे. वे श्रद्धा में डूब-उतरा रहे थे. पूरन और महेश दा ने बकायदा बोतलों में घर के लिए पवित्र जल भी भर लिया. कुछ दे... Read more
कुटी से ज्योलिंगकांग करीब 13 किमी का रास्ता शांत और धीरे-धीरे ऊंचाई लिए है. कुटी गांव की सीमा पर पानी के दो धारे दिखाई दिए. एक को पीने का पानी भरने और दूसरे को नहाने और कपड़े धोने के लिए लिहाज से इस्तेमाल किया जाता था. कचरे के लिए बाहर बकायदा एक कूड़... Read more
बच्ची अपने नेपाली गीतों में ही खोई हुई थी. तभी मेरे मित्र डी.एस.कुटियालजी आते दिखे. मैं उनकी ओर लपक लिया. वह तब बागेश्वर में वायरलेस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर थे. मैंने उन्हें बताया था कि इस बार मैं अपने साथियों के साथ व्यास-दारमा घाटी में आ रहा... Read more
सुबह जागे तो बाहर का नजारा शांत था. सर्पाकार कुट्टी यांग्ती नदी के सामने सूरज की किरणों से सुनहरी आभा लिए धवल हिम शिखर लुभा रहे थे. ये अन्नपूर्णा व आपी-नाम्फा के शिखर थे. टैंट पैक करने के साथ-साथ मैगी को स्टोव खदबदाया तो नाश्ता भी हो गया. इस बार न जा... Read more
नाभीढांग की सुबह खुशनुमा था. चाय पीकर हमने वापसी की राह पकड़ी. कालापानी पहुंचने पर पता चला कि आगे कहीं गर्म पानी का स्रोत है. पुल पार कुछ दूर गए ही थे कि एक जगह पर नजर पड़ी, ‘सल्फर के गर्म पानी का स्रोत.’ नीचे काली नदी को एक पतले से... Read more