अतीव सुन्दर जोहार घाटी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बहने वाली गोरीगंगा नदी के किनारे अवस्थित है. परम्परागत रूप से जोहार घाटी को तीन भौगोलिक हिस्सों में बाँट कर देखा जाता रहा है – मल्ला (ऊपरी) जोहार, तल्ला (निचला) जोहार और गोरीफाट. विश्वविख्यात मिलम ग्लेशियर मल्ला जोहार घाटी का हिस्सा है. इस घाटी को पिछली अनेक शताब्दियों से शौका जनजाति ने आबाद किया हुआ है. यह इलाका तीन तरफ से हिमालय की चोटियों से घिरा हुआ है. इन चोटियों में नंदादेवी, पंचचूली और हरदयोल प्रमुख हैं. मिलम ग्लेशियर के ऊंचे इलाकों से निकलने वाली गोरी नदी पूरे इलाके की जीवनरेखा का काम करती है.
मिलम ग्लेशियर लम्बे समय से पर्यटकों, पर्वतारोहियों, विद्वानों और मानवशास्त्रियों को आकर्षित करता रहा है. मिलम ग्लेशियर का चौवन किलोमीटर लंबा ट्रेक मुनस्यारी से आरम्भ होता है.
इलाके में लम्बे समय से एक कहावत चलती है – “सार संसार एक मुनस्यार”. मुनस्यारी का नाम आते ही इस लोकप्रिय स्थान को लेकर चलने वाली इस कहावत के अनेक संस्करण स्मृतियों में चले आते हैं. इन सभी संस्करणों का सार यही है कि प्राकृतिक सौन्दर्य के लिहाज से एक तरफ आप पूरी दुनिया को रख सकते हैं और दूसरी तरफ अकेले मुनस्यारी को. प्रकृति ने जिस तरह अपना सौन्दर्य मुनस्यारी पर निछावर किया है उसे देखकर ऐसा भी लगने लगता है जैसे स्वयं प्रकृति को यह स्थान बहुत प्रिय रहा होगा.
समुद्र ताल से करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी पंचचूली की शानदार चोटियों के साए में बसा एक छोटा सा पहाड़ी कस्बा है. मिथकों में बताया गया है कि पंचचूली का नाम उन पांच चूल्हों से प्रेरित है जिन पर पांच पांडवों ने अपनी अलग-अलग रसोइयाँ बनाकर अपना अंतिम भोजन पकाया था.
मुनस्यारी पहुँचने के लिए आपको निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम में मिलेगा जो यहाँ से 295 किलोमीटर दूर है. पंतनगर का हवाई अड्डा 330 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि दिल्ली की दूरी 612 किलोमीटर है. अल्मोड़ा से मुनस्यारी पहुंचे के लिए आप धौलछीना, सेराघाट, बेरीनाग, चौकोड़ी, थल, क्वीटी, बिरथी, रातापानी और कालमुनी से होकर यात्रा करनी होती है. वसंत और शरद की ऋतुएँ मुनस्यारी भ्रमण के लिए सबसे उपयुक्त होती हैं. हिमालय की अनुपम चोटियों के असंख्य शेड्स और मूड्स को देखना हो तो आपको मुनस्यारी आना होगा.
मिलम के अलावा नामिक और रालाम ग्लेशियरों को जाने के लिए मुनस्यारी एक प्रवेशद्वार का काम करता है. सीज़न के समय दुनिया भर से आने वाले पर्वतारोहियों के जत्थों को यहाँ देखा जा सकता है. बर्फ के मौसम में खलिया टॉप और कालामुनि में स्कीइंग की जा सकती है. ट्रेकिंग के लिए थामरी कुण्ड और मेसर कुण्ड जैसी अनुपम जगहों पर जाया जा सकता है. मुनस्यारी की पुरानी बाज़ार और वहां का जनजाति संग्रहालय देखने लायक जगहें हैं. पक्षीविज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए मुनस्यारी और उसके आसपास के जंगलों में चिड़ियों की असंख्य दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं. उत्तराखण्ड का राजकीय पक्षी मोनाल भी यहाँ खूब दिखाई दे जाता है. आप कहीं न भी जाना चाहे तो घंटों, दिनों और हफ़्तों तक केवल पंचचूली की मंत्रमुग्ध कर देने वाली चोटियों को देखते हुए अपना समय बिता सकते हैं.
हमारे साथी जयमित्र सिंह बिष्ट आपके लिए मुनस्यारी से खींची कुछ शानदार तस्वीरें लेकर आये हैं –
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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One Comment
Anonymous
मुनस्यारी की बेहतरीन फोटो तथा लेख आपने प्रस्तुत किया है । आपका बहुत बहुत आभार । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेे ।