Related Articles

1 Comments

  1. deven mewari

    आज (5 सितंबर) एक ऑनलाइन प्रोग्राम की व्यस्तता के बाद देर शाम को प्रोफेसर मृगेश पांडे जी लिखित यह दीर्घ समीक्षा पढ़ कर मन गदगद हुआ। बहुत अच्छा लगा यह जानकर कि उन्होंने मेरी पुस्तक ‘कथा कहो यायावर’ को शब्द-शब्द पढ़ते हुए मेरे साथ विभिन्न प्रदेशों की यात्रा की, जहां-जहां मैं विज्ञान और प्रकृति की तमाम बातें बच्चों और बड़ों को सुनाने के लिए गया। वहां उन लोगों को भी देखा-सुना जिनको मैंने किस्सागोई में वे किस्से सुनाए।
    आभारी हूं कि उन्होंने अपनी इस शब्द-यात्रा के बाद जो अनुभव किया, वह इस समीक्षा के रूप में लिख दिया। मेरी पुस्तक पढ़ने और समय निकाल कर यह समीक्षा लिखने के लिए मैं प्रोफेसर पांडे जी और इसे प्रकाशित करने के लिए ‘काफल ट्री’ के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation