Related Articles

One Comment

  1. मो ० नाज़िम अंसारी

    मेरे स्वर्गीय मौसा शेख ज़मीर बख्श के पिता जी थे स्वर्गीय ख़ुदा बख़्श उर्फ़ कल्लू चाचा उर्फ़ सोर वाले चच्चा (य आखिर वाल नामल मेरि इज उनर जिकर करछी ) शूर्पणखा की शानदार भूमिका अदा करते थे पिथौरागढ़ सदर की रामलीला में। उस बिजली नहीं थी लेकिन रामलीला रातभर होती थी। अहमद बख्श पेशावर से आकर रामलीला में सितार बजाते थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता रामलीला के साथ-साथ मुहर्रम में भी दिखाई देती थी। मेरे मौसा संगीत कलाकार थे जिनका हारमोनियम-बेंजो-तबला होली की बैठकों से लेकर रामलीला के मंच तक सुना जाता और सराहा जाता था। आज की नई पीढ़ी को यह एक काल्पनिक कहानी लग सकती है इस सच्चाई को उजागर करने वाले बहुत कम बुजुर्ग अब इस दुनिया में हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation