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8 Comments

  1. राघव

    ये अरुण कुकसाल और मुहम्मद अनवर अंसारी उत्तराखंड को कितना जानते हैं ? अब उत्तराखंड के बारे में बाहरी लोग बतायेंगे कि उत्तराखंड में सामाजिक समरसता का क्या स्तर हैं ?

  2. Kumud Pathak

    पूरी तरह गलत इनको उत्तराखंड का ज्ञान नहीं है

  3. नीरज बिष्ट

    ये लोग गलत गलत लिख कर पहाड़ के लोगों को बदनाम कर रहे है, मुहम्मद अनवर अंसारी, क्या ये पहाड़ का ठेकेदार है। जाके अपने धर्म के बारे में लिखे की हर आतंकवादी इनके ही धर्म का क्यों है कैसे पूरा विश्व इनसे परेशान है। हर तरफ जिहाद ने नाम पर गुंडागर्दी, आतंकवाद फैला रहे है। पहाड़ के सीधे लोगों का फायदा उठा कर वहां पर गन्द फैला रहे है। पहाड़ के लोगों की ईमानदारी, सच्चेपन की हर जगह मिसाल है मगर इन पर हर जगह थू थू हो रही है, समाज बढ़ाने में कोई योगदान नही मगर देश द्रोह, आतंकवाद, और हर देशविरोधी गतिविधियों में ये शामिल है

  4. अशोक सिंह

    सवर्ण और शिल्पकारों के बीच खाई खोदने का बेहतरीन प्रयास! पच्चीस साल पहले मैं मेरा शिल्पकार दोस्त एक बिस्तर पर सोते थे, खाना पीना साथ बैठ कर होता था। लड़ाई झगड़ा लड़कपन पर आधारित था न कि जातिवाद पर।

  5. Pawan Rawat

    मुझे याद है बचपन में जब में नाना नानी के गांव जाता था तो कुछ जातियों के लोग जब घर आते थे तो उनके साथ बात चीत तो बड़े अच्छे ढंग से होती थी पर उनके बैठने के स्थान ,उनके खाने के बर्तन अलग होते थे।

  6. virenaagri

    शिल्पकार जाति से जातिये परहेज जेसा पूर्व मे था वेसा ही आज भी है पर्वतिये स्थानो के मंदिरो मे इनका प्रवेश वार्जित है, जब की गौ मास खाने वाले विदेशीयो का अभिनन्दन मंदिरो मे ओर अपने घरो मे स्वर्ण जातियो के लोग लालच पूर्व करते है l
    भगवान बद्रीनाथ मंदिर के संरक्षक साऊथ साइड के है नहीं तो शिल्पकार जाति के लोगो का प्रवेश वहां भी वार्जित हो जाता यह बिलकुल सत्य है l
    अगर किसी को इसका बोध करना हो तो पर्वतिये स्थान मे जा कर तसल्ली कर ल्वे
    विरेंग्री आग्री

  7. Hemant

    Y dono log apni apni roti dekh rahe h, badnam pahad ko kar rahe h, ab to Abdul Ansari hamari jamino k kabja karna chahte h, savdhan raho, ekjut raho, jai uttarakhand jai bharat

  8. Devendra

    इस तरह के लेख सामाजिक दूरी बनते है , ये बिल्कुल ग़लत विचारधारा और संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हैं

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