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One Comment

  1. lokeshna mishra

    बरसात के दिनों में भुने हुए अन्न का रिवाज लगभग हर राज्य में किसी न किसी रूप में मिल ही जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार के आस-पास भी घरों में सुबह से ही दिन में भूनने के लिए मक्का ,चना ,मटर ,जोड़री आदि को हल्का सा नाम करके रख दिया जाता और दोपहर के खाने के बाद शाम ढले उन्हें चूल्हे पर बालू पड़ी पतीली में सींकों वाली झाङू से पकड़ने वाली साइड से चला कर भूना जाता था। एक ओर से बरसात से भीगी मिट्टी की सौंधी -सुगंध दूसरी ओर से भुने हुए दानों की सम्मोहित करती गंध सबका जी ललचाती थी।

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