हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’ उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर के एक गाँव सतोल की रहने वाली हैं. कुमाऊं के सभी बच्चों की तरह हिमानी भी ऐपण देखते हुए बड़ी हुई और जल्द ही इस पर हाथ भी आजमाने लगीं. (Hemlata Kabdwal Himani Uttarakhand)
11वीं की पढाई करते हुए हेमलता ने तय किया कि उन्हें भारत की लोक चित्रकला को अपनी कर्मभूमि बनाना है. फिलहाल वे राजस्थान और बिहार समेत देश के अन्य हिस्सों की लोककला को समझने और उनका उत्तराखण्ड की लोक कला के साथ फ्यूजन कर कुछ नया करने की कोशिश कर रही हैं.

इस समय एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से बेचलर ऑफ़ फाइन आर्ट के फाइनल इयर की पढ़ाई कर रहीं हिमानी के लिए अभी तक की यात्रा बहुत आसान नहीं रही. वे बताती हैं कि कैरियर के लिहाज से घर वाले साइंस से पढाई करवाना चाहते थे. 9वीं में उन्होंने साइंस से आर्ट्स में अपनी मर्जी से शिफ्ट किया तो परिजनों ने दोबारा साइंस से ही पढ़ाई करने को कहा. इस तरह राजकीय इंटर कॉलेज, प्यूड़ा से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. 11वीं की पढ़ाई में गणित से उलझते हुए ही हिमानी ने लोककला पर भी और ज्यादा जोर देना शुरू किया.

उच्च शिक्षा के लिए हिमानी ने लोककला के विषय की पढाई के लिए किसी अच्छे संस्थान में जाना चाहा. लेकिन जानकारी और संसाधनों के अभाव में यह संभव नहीं हुआ. फिर उन्होंने अल्मोड़ा में ही दाखिला लेने का निश्चय किया. यहां उनकी पसंद के विषय तो नहीं मिले लेकिन आर्ट्स से पढ़ाई का सिलसिला चल निकला.

मुक्तेश्वर के ही वुड हाउस रिजॉर्ट ने उन्हें अपने आर्ट की प्रदर्शनी लगाने के लिए प्रेरित किया, जिससे उन्हें लोकप्रियता भी मिली और पढ़ाई का खर्च भी निकलने लगा. यहां से देश के नामी-गिरामी लोगों तक उनकी कला पहुंची और प्रोत्साहन भी मिला. इसी वजह से ग्रेजुएशन की पढ़ाई आर्ट्स से करने के उनके फैसले से घर वालों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई.

हेमलता अब तक राजस्थान, बिहार और उत्तराखण्ड की लोककलाओं के फ्यूजन से कई बेहतरीन कलाकृतियाँ तैयार कर चुकी हैं. लॉकडाउन में संसाधन सुलभ न होने पर उन्होंने कई तरह के ऐपण डिजाइनों पर प्रयोग किये. इसी दौरान उन्हें अभिनेता मनोज बाजपेयी से भी मुलाकात का मौका मिला. मनोज बाजपेयी ने उनकी कुछ कलाकृतियाँ ली और उन्हें कई टिप्स भी दिए. इस समय हिमानी ज़ूम और इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन क्लासेज भी दे रही हैं.

हिमानी कहती हैं कि इस समय ऐपण का चलन जोरों पर है लेकिन कलाकार ऐपण के नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं, जो कि किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि लोक चित्रकला ग्रामीण पहाड़ी युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने का अच्छा माध्यम बन सकती है और वे इसके लिए कोशिश कर रही हैं.

भविष्य में उनका भारत की विभिन्न लोककलाओं का अध्ययन कर उनके साथ उत्तराखण्ड की लोककलाओं के बेहतरीन प्रयोग करने का विचार है. हिमानी अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफोर्म के जरिये दूर-दराज तक पहुँचाने के लिए भी प्रयास कर रही हैं.
(हिमानी कबडवाल से सुधीर कुमार की बातचीत के आधार पर)








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