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2 Comments

  1. Richa pant

    डॉ पाठक के विषय में इतना बारीकी से किया गया चित्रण बेहद सटीक और nostalgic feel कराने वाला है। उनका चाइनीज पेन से लिखना सचमुच अद्भुत था। उनको देख हमने भी चाइनीज पेन से लिखना शुरू किया।
    एक बात जो शायद इस लेख में रह गई, वो उनके क्लिनिक में पर्ची लगाने और दावा देने का कार्य करने वाले मोहन भैय्या और शायद दिनेश भैय्या थे। वो दोनो इस क्लिनिक के लिए बेहद अहम थे।।।। और विडंबना भी देखिए, डॉ साहब से पहले ही ये दोनो भी संसार छोड़ गए।

  2. मो ० नाज़िम अंसारी

    1990 में रीढ़ की समस्या शुरू हुई ,पिथौरागढ़ के उस समय के हड्डीरोग विशेषज्ञ ने जो दवाइयां लिखी उनमें नींद की दवा मुख्य थी। उद्देश्य था जब मरीज सो जाएगा तो दर्द महसूस नहीं करेगा। अल्मोड़ा डॉक्टर पांडे ने कहा कमर कमज़ोर हो गई है नंदादेवी मार्ग में कपड़े वाले कर्नाटक जी हैं वह दातुली (दराँती ) की मूठ से झाड़ कर ठीक देंगे। झड़वाया कोई फ़ायदा नहीं हुआ। रानीखेत एस एन श्रीवास्तव को दिखाया जिन्होंने मेरे x-ray को अपने अन्य साथी डाक्टरों की रिसर्च का सामान बनाया। बेस अस्पताल अल्मोड़ा होते हुए बरेली डाक्टरों को दिखाया सभी ने तुरंत ऑपरेशन कराने को कहा। नैनीताल के डा जी पी साह ने दिल्ली के डॉक्टर के लिए चिट्ठी लिख दी मरीज भेज रहा हूँ ऑपरेशन के लिए ठीक-ठीक पैसे लेना। ये सब घटित हुआ 1990 से 1994 के बीच तब एक दिन पिथौरागढ़ वाली मौसी ने कहा नवीन को एक बार दिखा ले मैं पहले नहीं समझा बाद में पता चला कि वे डॉक्टर पाठक को नवीन कहती हैं जिन्हे मैं पहले से जानता था और अपने बच्चों को उन्हें ही दिखता था। दर्जन भर डाक्टरों द्वारा ग़ुमराह किए जाने के बाद 1995 में डॉक्टर पाठक साहब को दिखाया उन्होंने अपने पर्चे में योग के पांच आसन लिख दिए -पवनमुक्तासन,भुजंगासन,शलभासन,अर्द्धमर्तस्येन्द्र आसन और धनुरासन। मैं ने पूछा कि इन आसनों को कैसे सीख पाऊंगा तो उन्होंने बहुत सस्ता और सरल उपाय बताया –योग की दस-पंद्रह रूपये में कोई भी किताब ख़रीद लो और प्रैक्टिस करो-उनकी इस सलाह से तब से आज तक जीवित हूँ। मैं ने फिर पूछा “सर,क्या लखनऊ दिखा लाऊँ तो नाराज़ होते हुए बोले मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? आज जब उनके बारे यह पोस्ट देखी तो अपनी आप-बीती और मुझ पर उनके इस अहसान के बारे में लिखने का अवसर मिला। वे एक आदर्श और सच्चे चिकित्सक थे allopathy के side effects से परिचित थे अपने मरीज को किसी भी चिकित्सा प्रणाली से ठीक करना ही उनका ध्येय था। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ऐसी महान हस्ती को सादर विनम्र श्रद्धांजलि।

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