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One Comment

  1. suraj p. singh

    अंग्रेजों के बाद जिन्हें विरासत मिलनी थी उन्हें ऐसे सिपाही चाहिए थे जो आंखों मूंदकर सिर्फ “उनके” ऑर्डर्स फॉलो करे, सत्य-असत्य की परख में अपनी बुद्धि का जरा भी हिस्सा जाया न करें। ऐसी बुनियाद पर जैसी व्यवस्था बननी थी वही आज हमारे सामने है। पुलिस और प्रशासन राजनैतिक आकाओं के बंधुआ मालूम होते हैं। ताज्जुब तो इस बात की है कि सत्य-असत्य पर इतना शोध करने के बाद गांधीजी ने किस तरह ऐसी बात कही होगी!

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