पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
पहाड़ की होली और होल्यारों की यादो का रंगीन पिटारा जहा भी खुले शमां रंगमस्त हो जाता है. कभी वक्त था जब लोग होली में गाव घरों को जाने का मन बहुत पहले बना लेते थे. नौकरी के लिये प्रवास में रह र... Read more
आज जब एक साल बाद नैनीताल आई, तो लगा जो भी यहाँ से लेकर गई हूँ, सारी अच्छी-बुरी यादें, खट्टे-मीठे पल और सब अहसासों का एक सुनहरा अनुभव, उन सब को संजो लेती हूँ, कैद कर लेती हूँ. अपनी छोटी सी दु... Read more
कहानी : साहब बहुत साहसी थे
आज शेविंग करते हुए ना जाने ध्यान बंट गया या फिर वही जल्दबाजी हुई कि गाल में एक बड़ा सा कट लग गया. मुझे शेविंग करना शुरू से ही पसंद नहीं रहा है. खून साफ करते-करते आज फिर सुधीर की याद आ गई... Read more
“चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
नैनीताल रईस होटल में रहते थे, गोरखा लाइन हाई स्कूल के नीचे, कृष्णापुर जाने वाले रास्ते के बायीं ओर. कोई बारह-तेरह साल की उम्र रही होगी. बाबू को देखता जो कला कृतियों के साथ किताब और पत्र-पत्र... Read more
आज फूलदेई है
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree आज फूलदेई है, प्रकृति की गोद में पलने और बढ़ने वाले पहाड़ियों का पर्व फूलदेई. प्रकृति का हर रंग पहाड़ियों के जीवन में मौजूद... Read more
कहानी : मोक्ष
दूर कहीं जंगल में घसियारियों के गीत समवेत स्वर में गुंजायमान हो रहे हैं. उधर डाल पर दरांतियों से जैसे ही खट-खट होती है वैसे ही पेड़ों से पत्तियां झरझराकर ज़मीन पर गिरती हैं. पत्तियों के झरझर... Read more
वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
हाल ही में फिल्मकार भारतबाला की फिल्म ‘वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी’ रिलीज़ हुई. यह फिल्म मुनस्यारी की महिलाओं की अदम्य आत्मशक्ति और जंगल की दिव्य चेतना के मध्य एक अलौकिक सम्बन्ध की मनोरम कथा है. ‘वी... Read more
मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
आज 10 मार्च को विश्व मशकबीन दिवस है. इस दिन, मशकबीन के सदियों पुराने इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को ससम्मान याद किया जाता है. दुनिया भर में प्रचलित मशकबीनों के आकार-प्रकार पर चर्चा की जाती है... Read more
एक थी सुरेखा
सालों बाद आज मैसेंजर पर मेरी नरेन से बात हुई. नरेन सुरेखा का छोटा भाई है. अभी कुछ दिनों पहले ही तो उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी, मैंने भी उसकी मित्रता सहर्ष स्वीकार कर ली क्योंकि मेरे मन म... Read more
पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
रोज़ यदि हम एक ही जगह पर जाते भी हैं तो कई नये सुराख गुप्त रास्तों के रूप में मिल जाते हैं हमें उसी पुरानी जगह तक पहुंचने के लिए. मुक़ाम ज़रूरी है किसी भी सफ़र के लिए और यदि दरख़्त, नदी, आका... Read more