बचपन से भवाली के ताजमहल के नाम से जाने जाने वाली राजपुताना राजघराने की एक धारोहर के बारे में जानने की मेरी हार्दिक इच्छा रही है. दोस्तों के साथ खाली समय में शाम के वक्त वहाँ जाना और उसके मध्... Read more
दुर्गा भवन स्मृतियों से
जब हम किसी से दूर हों रहे होते हैं, तब हम उसकी कीमत समझने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हो रहा है आज भी. कुछ ही पलों के बाद हम हमेशा के लिए यहां से दूर हो जाएंगे. फिर शायद कभी नहीं मिल पाएंगे इस जगह... Read more
पिता ने पुत्र की नियति का निर्धारण करते हुए उसको पैतृक पंडिताई की जागीर सौंप दी थी. पिछली सदी के पूर्वार्द्ध में सामान्यतया इस जागीर को हासिल करने वाला भी भाग्यशाली ही माना जाता था. कारण, उद... Read more
ललित मोहन रयाल ने हिंदी साहित्यिक जगत में अपनी पूर्व प्रकाशित दो पुस्तकों ‘खड़कमाफी की स्मृतियों से’ तथा ‘अथ श्री प्रयागकथा’ के द्वारा एक अद्वितीय स्थान बना लिया है.... Read more
सुनहरे गणतंत्र में उत्तराखंड के लोग
हमसे तो कभी गणतंत्र भी साफ़ साफ़ न कहा गया. हमारे लिये हमेशा आज का दिन 26 जनवरी हुआ. स्कूल में भी 26 जनवरी को छुट्टी ही रही. कभी बढ़िया मासाप रहे तो उन्होंने झंडा फरहाने का काम कर दिया तब शा... Read more
अल्मोड़े के अष्टावक्र हरीश चंद्र जोशी
उन्हें पहाड़ बहुत प्यारे थे. अल्मोड़े में तो उनकी जान बसती थी. यहीं अल्मोड़ा रह उन्होंने पहाड़ की सांस्कृतिक चेतना को विकसित करने का बीड़ा उठाया.बिना शोरगुल शांत मन से. संपर्कों के सूत्र बड़... Read more
पेट को फ्लैट और फौलादी बनाने के तरीके
पिछले सप्ताह हमने पांच आसन जाने थे जिनका नियमित अभ्यास हमारे पेटा को फ्लैट और फौलादा बना सकता है. उसी क्रम में आज हम अगले पांच आसन के बारे में जानेंगे. पहले पांच आसनों की तुलना में ये थोड़े... Read more
उत्तराखंड मूल के कैप्टन राम सिंह ने कम्पोज़ किया था आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना
आज़ादी से पहले भारत का राष्ट्रगान आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना था. 2 नवंबर 1941 को आजाद हिन्द की टीम ने औपचारिक रूप से रविन्द्र नाथ टैगोर के जन-गण-मन को राष्ट्रगान मान लिया था. बोस ने बर्लिन... Read more
वाह रे! तू भी क्या किस्मत लेकर आया इस दुनियां में. पथरीले पत्थरों के बीच से तेरा ये दीदार बहुत कुछ कह जाता है, पहाड़ की इस पहाड़ सी जिन्दगी और अपने वजूद की जुत्सजू की दास्तां. पत्थरों से भी... Read more
दांत दर्द का ठेठ पहाड़ी ईलाज
पहाड़ों में जीवन अत्यंत कठिन है. इस कठिन जीवन को और अधिक कठिन बनाती है स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी. आज के वैज्ञानिक युग में हर रोग की दवा है हर रोग का इलाज है लेकिन जब विज्ञान न था... Read more