कुमाऊं का सबसे समृद्ध कौतिक था ‘ठुल थल’
कुमाऊं में लगने वाले मेलों में थल का मेला सबसे महत्वपूर्ण मेलों में शामिल रहा है जो धार्मिक और व्यापारिक महत्वपूर्ण रहा है. कभी महीने महीने लगने वाला यह मेला अब केवल एक दिन तक सिमट कर रह गया... Read more
पहाड़ों में बसंत पंचमी से जुड़ी परम्परायें
बंसत पंचमी का दिन उत्तराखंड में सबसे पवित्र दिनों में एक माना जाता है. स्थानीय भाषा में इसे सिर पंचमी भी कहा जाता है. आज के दिन अपनी-अपनी स्थानीय नदियों को गंगा समझ कर स्नान किया जाता है और... Read more
पहाड़ चढ़ना जितना मुश्किल होता है, उस पर जिन्दगी बसर करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. जीवन की मूलभूत सुविधाओं की दुश्वारियों के दंश उन्हीं पाषाणों में पुष्प खिलाने के गुर भी उन्हें सिखात... Read more
उत्तराखण्ड की बहुपति विवाह प्रथा
उत्तराखण्ड के पश्चिमी टिहरी और जौनसार बावर क्षेत्र में कभी बहुपति प्रथा खासे चलन में थी. इस प्रथा में सबसे बड़े भाई का विवाह होने पर उसकी पत्नी समान अधिकार के साथ सभी छोटे भाइयों की भी पत्नी... Read more
वरिष्ठता का पैमाना है पहाड़ी नामकरण का भात
नामकरण हमारे हिन्दू धर्म का पांचवां संस्कार होता है इस दिन माता-पिता नहाकर नए वस्त्र पहनते हैं और शिशु को भी नहलाकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं. फिर माता-पिता बच्चे को अपनी गोद में लेकर हवन स्थल... Read more
रामगंगा नदी को पानी देने वाली अनेक गुमनाम नदियों के किनारे अनेक गांव हैं जिनके नाम सिवा खाता-खतूनी के कहीं और दर्ज नहीं हैं. हर गांव के नाम की अपनी कहानी है. इन गावों में अलग-अलग जाति के लोग... Read more
केदारनाथ मंदिर की दुर्लभ तस्वीरें
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मन्दिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है. हिमालय की गोद में बसा केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में एक है. कत्यूरी शैली में पत्थरों से बने केदारनाथ के व... Read more
सनगाड़ के ‘नौलिंग देवता’ से जुड़ी लोककथा
बहुत पुरानी बात है बागेश्वर के फरसाली गांव में एक नरभक्षी राक्षस उत्पन्न हो गया. राक्षस ने गांव उजाड़ दिया और वहां के लोगों को खा गया. अब जब गांव में एक ही आदमी बचा तो वह उसे खाने को दौड़ा.... Read more
इगास लोकपर्व को राजपत्र में स्थान मिलने के मायने
आज का दिन ऐतिहासिक बन गया है. इक्कीस साल के उत्तराखण्ड में, इसके किसी लोकपर्व को पहली बार राजपत्र में स्थान मिला है. आज उत्तराखण्ड में इगास का राजकीय अवकाश है. इससे पूर्व हरेला को भी राजपत्र... Read more
कुमाऊं की रामलीला पर ‘गिर्दा’ का एक महत्वपूर्ण लेख
कुमाऊॅं (उत्तराखण्ड) में प्रचलित रामलीला सम्भवतः संसार का एक मात्र ऐसा गीत नाट्य है जो ग्यारह दिनों तक लगातार क्रमशः चलता है और जिसमें कई-कई बार बाजार का पूरा एक हिस्सा-पूरा इलाका ही मंच बन... Read more