13 कुमाऊं रेजीमेंट के शौर्य व पराक्रम पर लिखा गया गीत ‘वो झेल रहे थे गोली’
24 अक्टूबर 1962, को चीनी आक्रमण के चलते रेजांगला की सुरक्षा का जिम्मा 13 कुमाऊं रेजीमेंट की सी (चार्ली) कंपनी को सौंप दिया गया. रेजांगला लद्दाख के चुशूल सेक्टर में 18 हजार फुट की बर्फीली ऊंच... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 16
आज का नैनीताल डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड जिस शान से खड़ा है और अपने कारोबार के डंक के बजा रहा है उसकी शुरुआत हीरा बल्लभ पांडे जी द्वारा की गई थी. स्वर्गीय हीरा बल्लभ पांडे भाबर क्षेत... Read more
गढ़वाल रायफल्स और प्रथम विश्व युद्ध
प्रथम विश्व युद्ध में गढ़वालियों ने अपना पराक्रम दिखाकर देश को ही नहीं बल्कि दुनिया को चकित कर दिया था. मेरठ डिवीजन की उनकी दोनों बटालियनों को गढ़वाल ब्रिगेड के नाम से फ्रांस भेजा गया. वहां प... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ- 3
नीलू कठायत- दूसरे दिन तड़के ही जस्सा राजप्रसाद पहुंचे. महाराज को बतलाया की नीलू कठायत महरों के साथ मिलकर एक घोर षड्यंत्र की योजना बना रहा है. उसके दोनों लड़के संयोग से कल रात मुझे मिल गए. मा... Read more
डॉ. राम सिंह की स्मृति: अपने कर्म एवं विचारों में एक अद्वितीय बौद्धिक श्रमिक
10 अक्टूबर 2016 को दिवंगत हुए पिथौरागढ़ में रहने वाले अद्वितीय मनीषी और कर्मठ विद्वान डॉ. राम सिंह ने उत्तराखंड के इतिहास पर अद्वुतीय कार्य किया था. इस महाप्रतिभा को याद कर रहे हैं हमारे साथी... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ- 2
नीलू कठायत- नीलू राजबुग पहुंचे जस्सा कमलालेख लिख से द्वार पर भेंट हुई. जस्सा ने बतलाया कि तल्ला देश भाबर पर संभल के नवाब ने अधिकार कर लिया है. उसकी सेना ने जनता पर गजब ढाया है. सैकड़ों मारे... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ
नीलू कठायत 1410 का साल भारत में तुगलक साम्राज्य उत्कर्षा की चरम सीमा में पहुंचकर पत्नोन्मुख हो चुका था. फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु हो चुकी थी. विश्व विजेता तैमूर लंग की तुर्की सेना ने दिल्ली ल... Read more
पर्वतसेनानी शमशेर सिंह बिष्ट ने यह लेख उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के बीस वर्ष पूरे होने पर लिखा था. तब इसे नैनीताल समाचार ने छापा था. वहीं से इसे साभार लिया गया है. – सम्पादक Memoir of th... Read more
उत्तराखण्ड का इतिहास भाग- 3
आद्यऐतिहासिक काल- ऐतिहासिक काल से पूर्व चतुर्थ-तृतीय सहस्त्राब्दी पूर्व तक आद्यऐतिहासिक काल माना जाता है. उत्तराखण्ड में इस काल के प्रमुख स्त्रोत धार्मिक ग्रन्थ होने के कारण इसे पौराणिक काल... Read more
गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-3
तोरमाणः- सन् पांच सौ ई. के लगभग हूण सरदार तोरमाण ने मालवा तक अपना शासन स्थापित किया और महाराजाधिराज की पदवी धारण की. तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल की राजधानी शाकल सम्भवतः सहारनपुर देहरादून की सीम... Read more