हैप्पी बड्डे जिला पिथौरागढ़
आज पिथौरागढ़ जिले का जन्मदिन है. 60 साल पहले आज ही के दिन पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था. 24 फ़रवरी 1960 से पहले तक पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील हुआ करता था. 24 फरवरी 1960 को सीर, सोर,... Read more
कभी किलों-दुर्गों की बहुतायत थी उत्तराखण्ड में
उत्तराखण्ड में कई जगहों के नामों की शुरुआत में गड़, गढ़ी या गढ़ का इस्तेमाल दिखाई देता है. इस शब्द का इस्तेमाल उत्तराखण्ड में मध्यकाल के शासकों के समय से होता आया है. मध्यकाल में उत्तराखण्ड में... Read more
कुमाऊँ के मध्यकालीन शासकों द्वारा एक विशेष नगाड़े का निर्माण करवाया जाता था. इस नगाड़े का इस्तेमाल ख़ास मौकों पर घोषणा करने के लिए किया जाता था. इसे धतिया नगाड़ा कहा जाता था. कुमाऊनी में धात या... Read more
राजुला मालूशाही की प्रेम कथा का एक और संस्करण
उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के जनमानस में अतिप्रिय राजुला मालूशाही (Rajula Malushahi) की प्रेमकथा (Love Story) का एक अन्य संस्करण – उन दिनों कुमाऊँ के पहले राजवंश कत्यूरों की राजधानी बैर... Read more
राजुला मालूशाही की प्रेम कथा (Love Story Rajula Malushahi) उत्तराखण्ड की सर्वाधिक लोकप्रिय प्रेम कथा है. पन्द्रहवीं शताब्दी की यह प्रेम कथा आज भी लोकगीतों, लोकनाटकों और लोकगाथाओं में देखी, स... Read more
कुमाऊं के पहले क्रांतिकारी जिनके सर पर हज़ार रुपये का इनाम रखा था अंग्रेजों ने
भारत छोड़ो आंदोलन की पहली तारीख को ही कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके कारण आंदोलन के नेतृत्वहीन हो चुका था. इसके बाद आंदोलन एक स्वतः-स्फूर्त आंदोलन था जिसमें प्रत्ये... Read more
चंडीदास और रामी धोबन की प्रेम कथा
गई जब रामी धोबन एक दिन दरिया नहाने को वहाँ बैठा था चंडीदास अफ़साना सुनाने को कहा उसने के रामी छोड़ दे सारे ज़माने को बसाना है अगर उल्फ़त का घर आहिस्ता आहिस्ता अमीर मीनाई की लिखी और जगजीत सिंह द्... Read more
पंद्रहवीं शताब्दी की उत्तराखण्डी प्रेम कहानी
उत्तराखण्ड की भी अपनी कुछ ऐतिहासिक प्रेम कथाएँ हैं. राजुला-मालुसाई इनमें सर्वाधिक लोकप्रिय प्रेमकथा है. लेकिन कुछ अन्य प्रेम कथाएँ और भी हैं जो आंचलिक रूप से उतनी ही लोकप्रिय है. इनमें से एक... Read more
पाली-पछाऊं द्वाराहाट से 12 मील की दूरी पर है. इसे चन्द राजाओं की राजधानी के रूप में जाना जाता है. यहाँ गोरखागढ़ी नामक जगह पर गोरखा राज्य के अवशेष आज भी खण्डहर के रूप में मौजूद हैं. ईसा से लगभ... Read more
एक समय था जब दुनिया भर में मलेरिया जानलेवा बीमारी मानी जाती थी और असंख्य लोग इसकी चपेट में आकर असमय काल कवलित हो जाया करते थे. मलेरिया के चलते ही उत्तराखंड के पहाड़ों से मैदानी भागों यानी तरा... Read more