खोज्यालि-खोज्यालि, मेरी तीलु बाखरी
पशुपालक समाजों में पशु के गुण-विशेष से आत्मीयता बरती जाती रही है. नेगी जी ने गढ़वाल की प्राथमिक अर्थव्यवस्था आधारित पशुपालन पर एकाधिक गीत गाए, जिनमें ‘ढ्येबरा हर्चि गेना’ से लेकर... Read more
गुप्तकाल में कुमाऊं
कुषाण शासन के विघटन के उपरान्त उत्तर भारत में जिन राजाओं ने अपने छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित किए उनमे से एक का नाम घटोत्कच गुप्त था. गुप्त वंश का संस्थापक इन्हीं को माना जता है. कुछ इति... Read more
चाय की खेती की असीम संभावनायें हैं उत्तराखंड में
उत्तराखंड में चाय की खेती का प्रथम संदर्भ विशप हेबर ने सन् 1824 में अपनी कुमाऊँ यात्रा में दिया है. सरकारी वानस्पतिक उद्यान सहारनपुर के अधीक्षक डॉ. रामले उत्तराखंड में चाय की खेती हो सकने से... Read more
क्या 1940 में शुरू हुआ थल मेला
कुमाऊं का थल मेला न जाने कितने पहाड़ियों की स्मृतियों का हिस्सा होगा. रामगंगा नदी के किनारे लगने वाले इस मेले को जीने वाली एक पूरी पीढ़ी है जो आज देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों में बस चुकी ह... Read more
कुमाऊँ में वस्त्र उद्योग का इतिहास
ऐसा प्रतीत होता है कि कुटीर उद्योग के रूप में वस्त्र निर्माण समूचे हिमालयी क्षेत्र में विद्यमान था. प्रत्येक गाँव में कृषक अपने गाय-बैलों के साथ भेड़ भी पालते थे, जिनके ऊन से कंबल व वस्त्र ब... Read more
जार्ज VI के काल का सिक्का पहाड़ में कहलाया छेदु डबल
आज भले ही कुमाऊं में दिन के न जाने कितने गीत बनाये जाते हैं पर जन सरोकार से जुड़ा कोई गीत शायद ही कभी कोई बनता हो. राज्य में पिछले दो दशकों में बने गीत सुनकर लगता है कि जैसे प्रेम ही एकमात्र... Read more
गोरखा शासनकाल उत्तराखण्ड में गोरख्याणी के नाम से जाना जाता है. सन् 1790 ई. में चैतरिया बहादुर शाह, सेनापति काजी जगजीत पाण्डे, अमरसिंह थापा, एवं सूरवीर थापा के नेतृत्व में गोरखा सेना ने कुमा... Read more
क्या सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु देहरादून में हुई
कई सारे लोग आज भी यह मानते हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 1945 की विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. भारत के आजाद होने के बाद कई दशकों तक सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु पर बात होती रही. भ... Read more
सुभाष चन्द्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया था. 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देश को अंग्रेजों की गुलामी से निजात दिलाने के उद्देश्य से इस सरकार की स्थापना स... Read more
बहुत पुरानी बात नहीं है जब हल्द्वानी की कई जगहों को वहाँ बने थोड़ा बड़े भवनों के नाम से जाना जाता था. जैसे समता आश्रम, अब्दुल्ला बिल्डिंग, सरना कोठी, पीली कोठी, चौधरी भवन वगैरा. तब नैनीताल रोड... Read more