पिथौरागढ़ की हिलजात्रा की दिल्ली में धूम
इन दिनों राजधानी दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत क्लाइडस्कोप नाम से लोककला और लोकसंस्कृति से जुड़ा आयोजन किया जा रहा है. 21 से 30 मार्च तक चलने वाले... Read more
कुमाऊं की ऐपण आर्टिस्ट हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’ ऐपण कला में अपने अद्भुत प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं. हिमानी ऐपण कला के क्लासिक स्वरूप को बनाये रखते हुए नए प्रयोगों से ऐपण को लोकप्रिय बनाने क... Read more
उत्तराखण्ड की सीमान्त जोहार घाटी में मिलम के करीबी गांव जलथ में रहने वाले प्रयाग रावत बचपन से ही हिमालय और प्रकृति के प्रेमी हैं. खुद को हिमालय पुत्र कहने वाले प्रयाग रावत के जीवन के शुरुआती... Read more
उत्सव शब्द ही अपने आप में हर्षो-उल्लास एवं खुशी को व्यक्त करता है. जब भी किसी उत्सव की बात होती है, तो लोगों के उत्साह सा दिखायी पड़ता है. उत्सव एक माध्यम है अपनी परम्परा व संस्कृति को दर्शा... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : अजुआ बफौल
जमाने पुरानी बात है. पंच देवता का मन हुआ कि हिमालय की यात्रा की जाये. सो पंचदेव पर्वतराज हिमालय की यात्रा पर चल पड़े. हिमालय के सम्मोहन में बंधे वे लगातार चलते ही जा रहे थे. जब वे थक गए तो व... Read more
कलुवावीर : उत्तराखण्ड के लोकदेवता
कलुवा शायद एक नागपंथी सिद्ध था. अपनी सिद्धियों की वजह से ही उसने इस पंथ में अपनी ख़ास जगह बना ली थी. कलुवावीर के बारे में कुमाऊँ और गढ़वाल मंडलों में अलग-अलग जनश्रुतियां चलन में हैं. (Kalwav... Read more
अपनी दुधबोली से एक परिचय
कुमाऊनी भाषा उत्तराखंड के कुमाऊँ मण्डल के छह जनपदों में बोली जाती है. इसके अलावा देश के विभिन्न भागों में जहां-जहां भी प्रवासी कुमाऊनी रहते हैं, वे भी सामान्य भाषा का प्रयोग करते हैं. इस तरह... Read more
उत्तराखण्ड की लुप्त होती पारंपरिक लोककलाओं के दौर में ही ऐपण के अच्छे दिन चल रहे हैं. कुमाऊं की चित्रकला ऐपण के गांवों से शहरों, कस्बों और महानगरों तक पैर पसारने का सिलसिला चल निकला है. हेमल... Read more
रैदास के वंशज हैं उत्तराखण्ड के दास
यूं तो हिंदी भाषा में दास शब्द का सामान्य अर्थ है किसी के अधीन रहने वाला सेवक नौकर— दास के कई रूप हुआ करते हैं. लेकिन उत्तराखण्ड में दास ताल वाद्य बजाने और देववाणी गाने वाले ख़ास जनों को कहा... Read more
लोककथा : शेरू और श्याम
सावित्री ने आज घर पर ही रहने का फैसला किया. थकाऊ खेती के काम से आज उसे फुरसत मिली थी. हफ्ते दस दिन से वह इतनी व्यस्त हो गयी थी कि अपने बेटे को समय नहीं दे पा रही थी. चाहती थी कि आज वह अपने ब... Read more