जब लता मंगेशकर को 500 रुपये मिलते थे, के. आसिफ ने उन्हें एक गाने के 25000 रुपये दिए थे
पटियाला घराने के खलीफा गायक उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब का जन्म आज ही दिन यानी 2 अप्रैल 1902 को ब्रिटिश भारत की पंजाब रियासत के कसूर नामक स्थान पर हुआ था. विभाजन के बाद कसूर पाकिस्तान का ह... Read more
भिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथा
जेठ म्हैणा जेठ होली, रंगीलो बैसाख, रंगीलो बैसाख लाड़ो म्हैणा, योछ चैतोलिया मास. बैणा वे येछ गोरी रैणा मैणा ऋतु मयाल. कुमाऊँ के जोहार अंचल में गाये जाने वाले इस गीत का भाव है— जेठ का महीना सबस... Read more
मेरा बचपन अल्मोड़ा के समीप सतराली में बीता. सतराली की होली प्रसिद्व थी. बसन्त पंचमी से होली गायन आरम्भ होता था. ढोलक में जौ चढ़ाकर रात में गांव के चौपाल में अलाव के आगे होली गाई जाती थी. बच्चे... Read more
चीर बंधन के साथ होती है खड़ी होली की शुरुआत
कुमाऊनी होली में है ब्रज का प्रभाव कुमाऊँ में अधिकतर त्यौहार मौसम चक्र के बदलने या फिर फसलों को बोने या फिर उन्हें काटने के बाद ही मनाये जाते रहे हैं. इस तरह हमारे त्यौहार हमें जीवन चक्र की... Read more
‘केदारनाद’ की कुमाऊनी होली बसंती नारंगी
उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत संकटग्रस्त है. इसके विभिन्न कारणों पर अक्सर चर्चा होती रहती है. इन्हीं हालातों के बीच उम्मीद की ताजा हवा के कुछ झोंके भी आते रहते हैं. इन्हीं झोंकों में हैं ल... Read more
कुमाऊं की रंगीली होलियां -चारू चन्द्र पांडे कुमाऊँ में होलियों का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है, होली की एकादशी को रंग-भरे सफेद वस्त्र धारण किये जाते हैं एक डंडे पर नये कपड़े की धारियाँ या... Read more
हुड़का: उत्तराखण्ड का प्रमुख ताल वाद्य
उत्तराखण्ड का प्रमुख ताल वाद्य ढोल, दमाऊ, डौर, ढोलक, नगाड़ा, धतिया नगाड़ा, थाली और हुड़का (Hudka) आदि उत्तराखण्ड के प्रमुख ताल वाद्य (Percussion Instrument) हैं. इनमें से जिन वाद्यों में चमड़े क... Read more
‘उत्तराखण्ड होली के लोक रंग’ शेखर तिवारी द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है. चंद्रशेखर तिवारी काफल ट्री के नियमित सहयोगकर्ता हैं. उत्तराखण्ड की होली परम्परा (Traditional Hol... Read more
रितुरैण या ऋतुरैण (Riturain) गीतों का उत्तराखण्ड की लोक परम्पराओं में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. इन्हें बसंत ऋतु और विशेषकर चैत्र महीने में गाया जाता है. चैत्र के महीने में गाये जाने के कारण इ... Read more
शकुनाखर: मांगलिक अवसरों पर गाये जाने वाले गीत
शकुनाखर (Shakunakhar) उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के कुमाऊँ मंडल में किसी भी शुभ कार्य की शरुआत से पहले गाये जाने वाले गीत हैं. शकुन का अर्थ है शगुन और आखर मतलब अक्षर. इस तरह यह नाम शगुन के मौक... Read more