प्रथम संस्करण की प्रस्तावना
प्रथम संस्करण की प्रस्तावना लिखते हुए मुझे उतना ही हर्ष हो रहा है जितनी मेरे साथी साहित्यकारों को प्रस्तावना पढ़ते हुए ईर्ष्या होगी. प्रस्तावना में मैं सर्वप्रथम आपको बताऊँगा कि जो मैंने लिख... Read more
कोऊ न जानत कवि की पत्नी के मन की पीर
“कब से ऐसा महसूस हो रहा है?” “ये क्या बकवास है? अरे इसमें महसूस जैसा क्या है, मैं हूँ कवि, तो हूँ.” “मैं आपसे नहीं, आपकी पत्नी से पूछ रहा हूँ.” “अरे डाक्साब,पहिले तो... Read more
एक गुच्छा बयंगकार के साथ ढाई किलो कबि
“कवि हैं, अच्छे वाले?” “बहिनी कौन सा, नया, कि पुराना?” “भैया पिछली बार पुराने कवि ले गई थी, सब मीठे निकल गए. इस बार नया दो.” “कितना तौलूँ?”... Read more
अपने देश में शायरों के जो किस्से चलते हैं उनसे लगता है कि वे पढ़ते-लिखते नहीं थे
कुछ दिनों पहले एक बड़े शायर की संक्षिप्त जीवनी और उनकी रचनाएँ पढ़ने का अवसर मिला. उनकी जीवनी कुछ इस तरह थी-वह (शायर) धीरे-धीरे शराब के नशे में डूबने लगा. जन्मदिनांक, जन्मस्थान के बाद जीवनीका... Read more
क्या हम इतने बुरे थे
कल कमाल हो गया. हम लिखते और देखते ही रह गए और हमारा मित्र अमर हो गया. कल आलोचक जी ने उसको भर-भर के गालियां दीं. ऐसी गालियां जिनकी साहित्यकार केवल तमन्ना ही कर सकते हैं. न जाने कितने लेखक-कवि... Read more
दस रुपये में भविष्य दर्शन
“आइये, आइये, भविष्य में चलिये, दस रुपये में भविष्य दर्शन, दस रुपये, दस रुपये!” कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से आवाज लगा रहे थे. बस-अड्डे पर तीन-चार गाड़ियां खड़ी थीं. तभी किसी गाँव से एक दल... Read more
चड्डा साहब का लाइव टेलीकास्ट
आख़िर कब तक चड्डा साहब धैर्य रखते? कब तक? पंद्रह दिन बेचैनी में काटने के बाद, उन्होंने भी घोषणा कर दी कि वे भी राष्ट्र के नाम अपना संदेश देंगे. “कल बारह बजे लाइव आऊँगा और करोना से जुड़... Read more
कोरोना के इस लॉक-डाउन से एक बात बाखूबी समझ आ रही है कि चुनाव सम्बंधी एक्ज़िट पोल क्यों फ़ेल हो जाते हैं. क्यों बड़े-बड़े विद्वानों के भी अनुमान गलत हो जाते हैं. लॉक-डाउन के सम्बंध में लेखकों... Read more
जीवन का दर्शन, जीवन का महात्म्य, जीवन के साथ ही समझ आता है. समय सबसे बड़ा शिक्षक है. आयु कहीं-न-कहीं आपको कम आयु वाले से वरिष्ठ बनाती ही है. हम सब उन यात्रियों की तरह हैं जो, किसी स्टेशन से... Read more
दादाजी और लुल्ली संग बारात में सर्कस की मौज
“अरे बेटा बरुन जल्दी करो, लेट है गये हैं.” दादाजी ने स्कूटर से उतर कर तेजी से कदम बढ़ाते हुए कहा.बहोड़ापुर से सागरताल की तरफ़ जाने वाली सड़क पर आज जाम लगा हुआ था. उस सड़क पर कतार... Read more