[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था] नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी तरह हल्द्वानी मंं 15... Read more
गोठ में पहाड़ी रजस्वला महिलाओं के पांच दिन
कुछ सालों पहले उत्तराखण्ड के गाँवों में कोई नई दुल्हन जब ससुराल में प्रवेश करती थी – उसकी पहली माहवारी, जिसे लोक भाषा में धिंगाड़ होना, छूत होना, अलग होना, दिन होना या मासिक आदि नामों... Read more
आदमी को जमूरा बनाने में उस्ताद हुआ शहर-ए-अल्मोड़ा
चुर्रेट मुर्रेट जादू की लकड़ी घुमाईईलम के जोर से हाथ की सफाईबोल शिताबी क्या लेगासास बड़ी कि बहूबाप बड़ा कि बेटाधूल में फंक लगाकर रुपया बना दूंडुग डुग डुग डुग डुग डुग डुग डुग चल बेटा घुचड़ू ... Read more
दीपावली के ठीक ग्यारह दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है जिसे इगास बग्वाल कहा जाता है. इस दिन पूर्व की दो बग्वालों की तरह पकवान बनाए जाते हैं, गोवंश को पींडा (पौस्टिक आहार) दिया ज... Read more
पिछले कुछ सालों से हमारे राज्य की सरकारें बहुत दयालु हो गयी हैं. समाज के सभी वर्गों के लिए उनके मन में ढेर सारा दया भाव पैदा हो चुका है. इस दया भाव के चक्कर में स्कूल के बच्चों और सरकारी नौक... Read more
कल उत्तराखंड में मनाया जायेगा लोकपर्व इगास
इगास: बारा-बग्वाली का समापन-पर्व इगास (एगास भी), उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है. दीपावली यहाँ बग्वाल नाम से मनायी जाती है. बग्वाल से ठीक ग्यारह दिन बाद इगास... Read more
अल्मोड़ा में युवा सम्मेलन के लिये उत्तराखंड सरकार नोएडा के युवाओं की फोटो दिखा रही है
उत्तराखंड सरकार इन दिनों उत्तराखंड स्थापना दिवस सप्ताह का आयोजन कर रही है. इस क्रम में आज अल्मोड़ा में मुख्यमंत्री द्वारा युवा सम्मेलन, मेरा युवा – मेरी शान कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. (Yuv... Read more
देहरादून में रहने वाले ग्यारह साल के बच्चे ने लिखी कविताओं की बड़ी किताब, देश भर में चर्चा
15 अगस्त 2008 को जन्मे दस साल के तथागत आनंद श्रीवास्तव देहरादून में रहते हैं. देहरादून निवासी डॉ. आनंद श्रीवास्तव और श्रीमती डॉ. रमा (ऋतु) श्रीवास्तव के इस होनहार बच्चे कविताओं की पहली किताब... Read more
लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ़ जागरुक करने के लिये माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने देहरादून में एक मानव श्रंखला बनाई. लोग सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करें इसके लिये स्वयं सिंगल यूज प... Read more
भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती है, पीपलटोला नाम से जानी जाती थी. यहाँ तवायफें रहा करती थीं और मुजरे के शौक़ीन लोग यहाँ जाया करते... Read more