सन् चौहत्तर के आस-पास की बात है. कोटद्वार में कर्मभूमि के संपादक स्व० भैरवदत्त धूलिया के घर में टिंचरी माई और पीताम्बर डेवरानी बैठे थे. माई किसी वजह से अस्थिर थीं. बातें करते-करते उठतीं और ज... Read more
बड़ी पुरानी बात है, जाड़ों के दिन थे. पहाड़ पार जंगल में चरने गयी बकरियों में एक गर्भवती बकरी जंगल में ही छुट गयी. जंगल में एक बाघिन भी रहती थी. गर्भावस्था के चलते बाघिन इन दिनों शिकार पकड़न... Read more
पहाड़ में रोपणी की अनमोल यादें
एक मित्र ने हाल ही में वाट्सएप पर दो खूबसूरत पंक्तियां भेजी थी – (Memoir by Shurveer Rawat) ‘न प्यार-मोहब्बत की, न वफा की बात होगी.अब जो भी बात होगी रोपणियों के बाद होगी.’ बात दिल को... Read more
बिजलि भूमि : जनपक्षीय आंदोलनों को आवाज़ देने वाला नरेन्द्र सिंह नेगी का जनगीत
केदारनाथ आपदा को सात साल हो गए हैं पर घाव अब भी बने हैं. अनियोजित विकास भी इसके प्रमुख कारणों में से एक रहा. खास कर बड़े बाँधों से आने वाले कथित विकास. बाँधों पर सवाल विभिन्न मंचों से अनेक र... Read more
नईमा खान उप्रेती एक क्रांति का नाम था. एक तरफ उत्तराखंड के लोक गीतों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए उन्होंने मोहन उप्रेती जी के साथ मिलकर एक बड़ी भूमिका निभाई. दूसरी ओर रं... Read more
दस रुपये में भविष्य दर्शन
“आइये, आइये, भविष्य में चलिये, दस रुपये में भविष्य दर्शन, दस रुपये, दस रुपये!” कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से आवाज लगा रहे थे. बस-अड्डे पर तीन-चार गाड़ियां खड़ी थीं. तभी किसी गाँव से एक दल... Read more
उतीस के पेड़ का रहस्य और नीम करौली महाराज
आज 15 जून है, यदि सामान्य स्थिति होती और पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से नहीं जूझ रहा होता तो कैंची धाम के मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की वर्षगांठ पर लाखों की संख्या में लोग कैंची धाम... Read more
इस लम्हे से पहले जो हुआ सब भूल जा
यह बात ज्यादातर लोगों को बहुत नागवर लगेगी और बहुत क्रूर भी लेकिन हर पल बिना किसी दुख का, एक नया और बच्चों जैसे भोलेपन से भरा, आनंद और उत्साह से लबरेज जीवन जीने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम... Read more
लाइव के मौसम में एक जरूरी कथा
[अमित श्रीवास्तव की यह ताज़ा कहानी सच की अनेक परतों के बीच डूबती-उतराती रहती है. यह आधुनिक समय की अनेक ऐसी विद्रूपताओं के ऊपर पड़े जालों को साफ़ करता हुआ एक दस्तावेज है जिसे पढ़कर हमें अपने ही अ... Read more
कुमाऊनी झोई का स्वाद लाजवाब है
झोई अथवा झोली यानि कि कढ़ी हमारे कुमाऊं के भोजन में विभिन्न प्रकार से बनती है. कम से कम एक सप्ताह हम अपनी अलग-अलग झोई के स्वाद ले कर सभी को चख सकते हैं. गरीब से लेकर अमीर तक सबके घर में बनने... Read more