उत्तराखंड के लोक में अमर प्रेम गाथाएं
उत्तराखण्ड के इतिहास में यदि हम समाज को देखना शुरू करते हैं तो पाते हैं कि वर्तमान भेदभाव पूर्ण नितियां या वर्तमान जाति व्यवस्था का आंकड़ा यही कोई 4-5 सौ सालों पहले फिट बैठाया गया होगा. वीर... Read more
जिक्र भवाली चौराहे का आता है, तो कई यादें दिलो-दिमाग पर तैरने लगती हैं. भवाली का इतिहास, आजादी के पूर्व स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका, स्वातंत्रोत्तर भारत में इसके विकास की दशा एवं दिशा... Read more
डियर एसपीबी,आई जस्ट कॉल्ड टू से आई लव यू. आवाज़ बहुत भारी थी वो. बहुत ही भारी. तमाम आवाज़ों के बीच जगह बनाकर भीतर जम गई. यूं कि जैसे आलती-पालथी मारे बैठ ही गई हो. बहुत मशक्कत से उठाने से भी... Read more
मैं जब दुगड्डे में पढ़ता था तो मेरी आयु करीब 14 वर्ष की थी. हमारा परिवार अपने क्षेत्र में समृद्ध तथा प्रतिष्ठित परिवार था. पिताजी दो भाई थे. उम समय हमारे ताऊजी के चार पुत्र दो पुत्रियां थीं.... Read more
बद्रीनाथ की 125 साल पुरानी तस्वीर
यह तस्वीर बद्रीनाथ की है. जिसे जर्मन फोटोग्राफर कर्ट बोएक ने 1892 की अपनी भारत यात्रा के दौरान खींचा था. बोएक ने इस तस्वीर को अपनी किताब में शामिल किया जो साल 1894 में प्रकाशित हुई. (Old Pho... Read more
आईपीएल में अपनी टीम बनाकर उत्तराखंड के दर्शन सिंह बिष्ट ने जीते 1 करोड़ रुपये
आईपीएल ने पिछले कई सालों में भारतीय युवाओं की जिन्दगी बदली है. आज तक आईपीएल ने जिन लोगों की जिन्दगी बदली है उनमें अधिकांश खिलाड़ी ही रहे हैं लेकिन इस बार आईपीएल ने शुरुआत में ही उत्तराखंड के... Read more
लोकभाषा में उलटबांसियां
गूढ़ रहस्यों और मर्मस्पर्शी भावों को व्यक्त करने में गढ़वाली बोली कितनी समर्थ है, इसका जायजा लेने की एक छोटी सी कोशिश (Column by Lalit Mohan Rayal) — लोक-भाषा में भावों को व्यक्त करने की बड़... Read more
पहाड़ी महिलाएं पलायन के लिये कितनी जिम्मेदार
पलायन पहाड़ी गावों की संभवतया सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इसके कारणों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ अपनी बात कहते हैं और समाधान के लिए बड़े भारी भरकम आयोग स्थापित हो गए हैं, लेकिन फिलहाल इ... Read more
जौनसार: जहां देवता आज भी चलते फिरते हैं
शिवालिक की सुरम्य पहाड़ियों में प्रकृति ने अनूठे रंग भरे हैं. यहाँ का जन जीवन भी विविधता से भरा है तो आद्य शक्ति के रहस्यों की गाथाओं का केंद्र भी. इनमें उत्तराखंड के साथ हिमाचल... Read more
1945 के नैनीताल की स्मृतियां
मेरा बाल्यकाल अल्मोड़ा में बीता. पिताजी अल्मोड़ा में रहते थे. हमारी दुनिया अल्मोड़े तक ही सीमित थी. कुमाऊवासियों के लिए अल्मोड़े में सभी प्रकार की सुविधाएं प्राप्त थीं. निकटस्थ एवं दूरस्थ गा... Read more