कवि के साथ बातचीत का सलीका शिवप्रसाद जोशी के संग्रह ‘रिक्त स्थान और अन्य कविताएँ’ पढ़ने के बाद इस लेख की शुरुआत करते हुए शीर्षक को लेकर अनेक शब्द दिमाग में कोंधते रहे, मगर हर बार शब्द ज़बान... Read more
उत्तराखंड में भूमि प्रबंधन व राज्य को चलाने के लिए आगम के प्रमाण कत्यूरी राजाओं के समय से मिलते हैं. कत्यूरी नरेशों के काल में खेतीबाड़ी, जंगलात और खनन आगम प्राप्ति के मुख्य स्त्रोत थे. खेत... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : अजुआ बफौल
जमाने पुरानी बात है. पंच देवता का मन हुआ कि हिमालय की यात्रा की जाये. सो पंचदेव पर्वतराज हिमालय की यात्रा पर चल पड़े. हिमालय के सम्मोहन में बंधे वे लगातार चलते ही जा रहे थे. जब वे थक गए तो व... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : गाय, बछड़ा और बाघ
एक गांव में गाय अपने बछड़े के साथ रहती थी. बछड़े को घर छोड़ गाय रोज हरी घास चरने जंगल जाया करती थी जिससे बछड़े को उसका दूध मिलता रहे. (Folklore of Uttarakhand) बछड़े को और ज्यादा पौष्टिक दूध... Read more
सल्ट के हिनौला का प्राचीन इतिहास
ईजा का अपने मैत (मायके) से प्रेम होता ही है और मेरा मकोट (ननिहाल) से दो रुपये मिलने का लालच होता था, जो मुझे हर बार मामा या मामी से मिला करता था. ईजा जब मायके जाती थी तो मैं भी बड़ी उत्सुकता... Read more
बागेश्वर के मोहन जोशी की बांसुरी का सफ़र
बचपन में यदा-कदा बुड़-माकोट (पिताजी के ननिहाल) जाना होता था. वहां बगल के पाथरनुमा दोमंजिले घर की खिड़की पर रिश्ते के छोटे चाचा बांसुरी बजाते दिखाई देते. उन्हें सुनता तो मैं हैरत में पड़ जाता... Read more
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर पर एल आई सी का टेबल कैलेण्डर था. उसकी तरफ शायद जून था. जून का एक चित्र था. चित्र में एक परिवार था.... Read more
पहाड़ों में नवरात्र के दिनों की यादें
सरादों के बाद नवरात्र शुरु हो जाते हैं. इन दिनों असोज का काम यानि फसल समेटने का काम कुछ कम हो जाता है लोग उत्सव के मूड में आ जाते हैं. नई फसल भी हुई रहती है और नवरात्र के बहाने अपने ईष्टदेव... Read more
कहानी : कोतवाल का हुक्का
आज सुबह तीन पानी के पास उस फ़कीर की लाश मिली थी. कुछ दिन से शहर में एक फ़कीर को देखा जा रहा था. फ़कीर क्या, लोग तो उसे पागल समझ रहे थे. वो तो उसने जब, यूं ही बेवजह आँखें नहीं झपकाईं, किसी की... Read more
नैनीताल के डुट्याल व उनसे जुड़े रोचक किस्से
डुट्याव या डुट्याल शब्द जेहन में आते ही एक बेवकूफ, बेशऊर, बदनुमा से इन्सान का चित्र उभरता है- पसीने से तर-बतर, बोझ तले दबे अंगुलियों के पोरों से माथे के पसीने को झाड़ता, चूड़ीदार पैजामा, लम्... Read more