हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था
नोस्टालजिया का झरोखा तो सुकून देता ही है जनाब! चाहे वह कितना ही अभावों भरा क्यों न हो. लेकिन सच कहें तो हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था. विलासिता की चीजों से दूर हम अपनी खुशियां कुदर... Read more
डॉ. राम मनोहर लोहिया जन्मदिन विशेष
स्वातंत्रोत्तर भारत में समाजवाद विचारधारा को धार देने में आचार्य नरेन्द्र देव, डॉ. राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण अग्रणी थे, यद्यपि उस दौर में इस आन्दोलन में मधुलिमये, मधु दण्डवते, जॉर... Read more
द्वार पूजा का पर्व भी है फूलदेई
उत्तराखण्डियों का बालपर्व – फूलदेई सनातनी संस्कृति में घर का द्वार केवल घर में प्रवेश करने का रास्ता न होकर वन्दनीय पूजनीय माना जाता है. घर बनाते समय द्वार की दिशा का निर्धारण वास्तुशा... Read more
महज एक टूरिस्ट डेस्टिीनेशन नहीं है नैनीताल. कुदरत ने तो इसे तराशने में संजीदगी बरती ही है, लेकिन शहर की और सारी खूबसूरतियां भी हैं जो इसे दूसरे शहरों से अलहदा करती हैं. यही कारण है कि जो नैन... Read more
अरे! तुम तो एक हफ्ते में निबटा देने वाले ठैरे ‘वैलन्टाइन डे’ का जश्न, हमारे टैम पर तो सालों भी लग जाने वाले हुए ‘वैलेन्टाइन डे’ के इन्तजार में. किसम-किसम की सेरेमनी और रिचुवल्स होने वाले हु... Read more
अतीत में बहुत स्वावलम्बी था हमारा पहाड़ी जनजीवन
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. मानव सभ्यता ज्यों-ज्यों विकास के सोपान चढ़ती गयी, वैज्ञानिक सोच और तकनीकी कौशल ने हमारी जिन्दगी आसान तो जरूर बना दी, लेकिन शारीरिक श्रम के प्रति ह... Read more
ऐसे बनायें घर पर ही शुद्ध पिठ्या
हिन्दू परिवारों में कोई उत्सव हो अथवा पारिवारिक रस्म, पिठ्या (रोली) के बिना रस्म पूरी नहीं होती. अमूमन लोग बाजार से लाये गये पिठ्या का ही उपयोग करते हैं. बाजार से खरीदे जाने वाले पिठ्या में... Read more
बाबिल घास : पहाड़ की बहुउपयोगी घास
बाबिल, जिसे गढवाल क्षेत्र में बाबड़ नाम से भी जाना जाता है, पहाड़ी क्षेत्रों में चट्टानों पर उगने वाली एक लटनुमा घास की प्रजाति है. चट्टानों पर उगने के कारण इसको हासिल करना भी जोखिमपूर्ण कार... Read more
दम भाई निज भाई और भाई घसड़ पसड़
‘दम मारो दम मिट जाये गम’ गाना तो बीसवीं शताब्दी में बना साहब! जब कि गम मिटाने का ये नुस्खा उतना ही पुराना है, जितने भगवान भोलेनाथ. भोलेनाथ को अर्पित की जाने वाली सामग्री में चरस भी उनक... Read more
भय बिनु होय न प्रीति का पहाड़ी कनेक्शन – चेटक लगना
बचपन से कई ऐसे संवाद धार्मिक प्रसंगों में सुनते आये हैं जिनका आशय तो हम नहीं समझ पाते लेकिन अतार्किक बनकर सहज रूप में उन्हें स्वीकार कर लेते हैं. भगवान राम जन-जन के आराध्य रहे हैं और उनके प्... Read more