पहाड़ी मूली नहीं है मामूली
‘किस खेत की मूली’ (कमजोर या अधिकारविहीन, ‘मूली-गाजर समझना’ (कमजोर) और ‘खाली मूली में’ (व्यर्थ में) जैसी लोकोक्तियां अथवा वाक्यांश यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि मूली को बेहद मामूली, कम... Read more
1880 की त्रासदी से भी सबक नहीं ले पाये नैनीतालवासी
सन् 1880 का वह दौर, जब नैनीताल में मानवीय दखल न के बराबर थी. 1841 में खोजे गये इस शहर को आबाद हुए 40 साल से भी कम का समय गुजरा था. तब महज 10,054 की कुल जनसंख्या वाले इस नवोदित शहर में आज ही... Read more
बादलों में भवाली: भवाली की जड़ों को टटोलती किताब
अंग्रेजी वर्तनी के अनुसार भोवाली, अतीत में भुवाली और अब भवाली नाम से जाना जाने वाला यह छोटा सा कस्बा नैनीताल से 11 किमी पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग 109 (पूर्व में हाईवे 87 के नाम से) पर स्थ... Read more
पहाड़ की लोक परम्पराओं, लोक आस्थाओं एवं लोकपर्वों की विशिष्टता के पीछे देवभूमि के परिवेश का प्रभाव तो है ही साथ ही यहॉ की विशिष्ट भौगोलिक संरचना भी दूसरे क्षेत्रों से इसे अनूठी पहचान देती है... Read more
चाय से जुड़े अफसाने, चाय दिवस के बहाने
चाय हमारे हिन्दुस्तानी समाज में कुछ इस तरह रच-बस चुकी है कि वह अब केवल राष्ट्रीय पेय ही नहीं रहा, बल्कि चाय के बहाने बड़े बड़े काम चुटकियों में हल करने का जरिया भी है. बाजार से लेकर दफ्तर तक... Read more
‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श
लोक के क्षितिज से उपजा और अन्तर्राष्ट्रीय फलक तक अपनी धमक पहुंचाने वाला कुमाऊॅ के सुपर-डूपर लोकगीत ‘बेड़ू पाको बारामासा’ से भला कौन अपरिचित है. गीत का मुखड़ा किसने लिखा और कब से यह लोकजीवन क... Read more
पहाड़ चढ़ना जितना मुश्किल होता है, उस पर जिन्दगी बसर करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. जीवन की मूलभूत सुविधाओं की दुश्वारियों के दंश उन्हीं पाषाणों में पुष्प खिलाने के गुर भी उन्हें सिखात... Read more
दादी-नानी के नुस्खे वाली पंजीरी घर पर ऐसे बनायें
जाड़ों का मौसम हो तो अक्सर हमें गर्म तासीर वाली चीजों की आवश्यकता महसूस होने लगती है. विशेष रूप से नवप्रसूता महिलाओं के लिए पंजीरी एक ऐसा व्यंजन है जो उनके शरीर को न केवल ठण्ड से बचाता है, ब... Read more
देश की सेना के शौर्य परम्परा की गौरवपूर्ण गाथा में 16 दिसम्बर 1971 का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया, जब देश के रणबांकुरों ने सीमाओं पर दुश्मन के दांत खट्टे कर इतिहास रच डाला. विश्व के... Read more
शब्द अथवा शब्दों के समुच्चय से कोई भाव या विचार बनता है. यदि मात्र एक शब्द से ही हम किसी भाव को अभिव्यक्त करने मे समर्थ हों, तो यह भाषा की बेहतरीन खूबी है. इस दिशा में दूसरी भाषाओं की अपेक्ष... Read more