पेड़-पौधों से बतियाने वाला अद्भुत है ये शख्स
बूढ़े हो चुके अपने जिंदा शरीर के लगभग साठेक किलो वजन को साथ लिए वो हर पल कहीं न कहीं धरती के सीने में चारेक दशक से चौड़ीदार वृक्षों को रोपने में लगे रहते हैं. इसके साथ ही सूख रहे नौलों, धारो... Read more
दारमा घाटी के सरल हृदय वाले लोग
उत्तराखंड में पंचाचूली चोटियों का नाम सभी जानने वाले हुए. कच्ची सड़क बन जाने से अधिकतर तो अब इसके पास भी जाने लगे हैं. पंचाचूली ग्लेशियर तक जाने के लिए दारमा घाटी में बसे दांतू गांव से पैदल... Read more
तिवारीजी का झुनझुना बजाने में मस्त हैं आंदोलनकारी
आज एक बुजुर्ग से मुलाकात हुई तो उनके बाजार में आने का कारण यूं ही बस पूछ बैठा. इस पर उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई कि सारे दस्तावेज दे दिए लेकिन फिर भी बार-बार कह देते हैं कि ये लाओ, वो लाओ. राज... Read more
द्वाली में फसे पर्यटकों का रेस्क्यू अभियान
पिंडर घाटी के द्वाली में फसे 42 देशी और विदेशी पर्यटकों को रेस्क्यू कर लिया गया है. लगभग 15 बंगाली पर्यटकों को पांच टैक्सियों के जरिए कपकोट लाया गया. जहां उनके नाम, पता आदि की जानकारी जुटाने... Read more
बागेश्वर के मोहन जोशी की बांसुरी का सफ़र
बचपन में यदा-कदा बुड़-माकोट (पिताजी के ननिहाल) जाना होता था. वहां बगल के पाथरनुमा दोमंजिले घर की खिड़की पर रिश्ते के छोटे चाचा बांसुरी बजाते दिखाई देते. उन्हें सुनता तो मैं हैरत में पड़ जाता... Read more
नामिक गांव के शिक्षक भगवान सिंह जैमियाल
क़रीब साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित नामिक ग्लेशियर से निकलने वाली जलधारा अपने साथ कई और धाराओं को समेट जब नामिक-कीमू गांव के पाँव पखारते हुए आगे बढ़ती है तो जैसे पल-पल अपनी सामर्थ्य... Read more
पौधों से एक बुजुर्ग का अजब प्रेम
महानगरों के साथ ही अब तो पहाड़ों में भी जमीन गायब हो मकान ही मकान बनने लगे हैं. बहरहाल अब ये कोई नई बात नहीं है, हर कोई यह सब जानता ही है. पहाड़ों में तो खेती बंजर होती चली जा रही है. खेती क... Read more
साठ के दशक में हिमालय अंचल की यात्रा से जुड़ी यादें
चितरंजन दासजी ने उत्तराखंड के हिमालयी तीर्थों की अपनी यायावरी यात्रा को अपनी किताब ‘शिलातीर्थ’ में बहुत ही सजीव और अद्भुत ढंग से सजोया है. 1959 में केदारनाथ और बद्रीनाथ की पैदल य... Read more
कठिन पद यात्रायें प्रकृति के करीब ले जाती हैं
ऊपर ज्योरागली में धूप निखर आई थी. कुछेक साथी वहां पहुंच भी गए थे तो ठंड में जमी रूपकुंड झील के किनारे से मैंने भी ज्योरागली में धूप सेंकने का मन बनाते हुए कदम बढ़ा लिए. बेहद तीखी हवा जैसे इम... Read more
रहस्यमयी रूपकुंड से जुड़ी कहानियां
रूपकुंड यहां से करीब तीन किलोमीटर दूर है. लेकिन उंचाई ज्यादा होने से रास्ता बहुत लंबा और थकान भरा महसूस होता है. रूपकुंड पहुंचने तक आठ बज चुके थे. मौसम की बेरुखी के कारण इस बार रूपकुंड में झ... Read more