नैनीताल में नसीरुद्दीन शाह के शुरुआती दिन
देश के सर्वकालीन महानतम अभिनेताओं में से एक नसीरुद्दीन शाह ने अभी कुछ दिन पहले अपना जन्मदिन मनाया है. यह अलग बात है कि अपनी आत्मकथा ‘ एंड देन वन डे’ में वे लिखते हैं – “मेरा जन्म लखनऊ के नजद... Read more
अंगरेजों ने अल्मोड़े का नक्शा औरै और किया
कुमाऊँ के आदिकवि माने जाने वाले लोकरत्न गुमानी से का जन्म 1790 ई. माना गया है. गुमानी के पूर्वज पिथौरागढ़ जिले के गंगोल क्षेत्र में उप्राड़ा गांव के थे. इस लिहाज से जब कवि गुमानी ने कविता लि... Read more
निमक का है हरामी यह खुदा भेजा क्यों हिन्दुस्तां
गढ़वाल शैली की चित्रकला के प्रवर्तक महान चित्रकार और कवि मौलाराम (1743-1833) की कला बहुत लम्बे समय तक जनता के सम्मुख न आ सकी. उनकी मृत्यु के करीब डेढ़ सौ सालों बाद बैरिस्टर मुकुंदीलाल ने उनके... Read more
पूरा अपना ही है देहरादून : राजेश सकलानी की कविता
देहरादून निवासी युवा कवि राजेश सकलानी के पिछले कविता संग्रह पुश्तों का बयान का में कवि और उसकी कविता के बारे में हिन्दी के वरिष्ठ कवि और टिप्पणीकार असद ज़ैदी का कहना है: राजेश सकलानी की कविता... Read more
शेरदा अनपढ़ की कविता – को छै तू
भुर भुर उज्याई जसी जाणि रत्तै ब्याण,भिकुवे सिकड़ी कसि ओढ़ी जै निसाण,खित्त कनैं हंसणऔर झऊ कनैं चाण,क्वाठन कुरकाती लगूंमुख क बुलाण,मिसिर है मिठि लागींकार्तिकी मौ छै तूपूषेकि पालङ जसीओ खड़्यूणी... Read more
प्रेम कविता में दरवाजा - हेमंत कुकरेती उसने तय किया भूख मिट जाएवह प्रेम की कविता लिखेगाजिसमें प्रेम नामक शब्द कहीं नहीं होगाअद्भुत प्रेम कविता होगी वह इसके लिए नफ़रत और युद्ध युद्ध और व... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 40 पिछली कड़ी: भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया जैसा कि अब तक आप लोगों को मालूम चल ही चुका होगा कि बचपन से ही मैं खेलों का ब... Read more
जनार्दन बाबू का कायाकल्प
आज विश्वास करना मुश्किल होता है कि जनार्दन बाबू कभी ऐसे न थे जैसे अब हो गए हैं. लगभग सालभर पहले कुछ और ही आदमी थे. उनके कई जानने वालों को आज भी यकीन सा नहीं होता कि वे इतने बदल गए हैं. तब वा... Read more
चलो सखी पर्वत है आएं
चलो सखी पर्वत है आएं सब आपस में चंदा करकैंडीजल की गाड़ी में भर कैंदेहरी छू भज आएं चलो सखी पर्वत है आएं काउ नाव में बैठ-बाठ कैंमाल रोड की काउ लाट पैंस्लीवलेस पे टैटू गाँठ कैंसेल्फ़ी... Read more
माँ मुनव्वर राणा हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खातेबच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैंसगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं हवा दु... Read more